निगरानी के जाल में निरंतर फंसते जा रहे किशनगंज के पूर्व जिलाधिकारी के।सेन्थिल कुमार के कथित काले कारनामों के संबंध में जानकारी तथा ठोस सबूत प्राप्त करने पटना से आये निगरानी विभाग के पदाधिकारी उनके कार्यकाल में हुए कतिपय कारनामों की जानकारी प्राप्त कर सारे दस्तावेजों की फोटो प्रति साथ ले गये। विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार के। सेन्थिल कुमार 20 अक्टूबर दो हजार एक से 15 दिसम्बर दो हजार चार तक लगभग तीन वर्ष दो महीने किशनगंज में कार्यरत रहे।
उस समय से सर्वाधिक चर्चित रेफरों घोटाला को लेकर रेफरो के खिलाफ प्राथमिकी पर वांछित कार्रवाई इसलिए नहीं हो सकी कि उससे तत्कालीन जिला पदाधिकारी के। सेन्थिल कुमार की रेफरो के साथ थे। सूत्र के अनुसार के।सेन्थिल कुमार के समय में पोठिया प्रखंड में लगभग बारह करोड़ की लागत से बना था सरकारी क्षेत्र का टी प्रोसेसिंग प्लांट लेकिन प्लांट बनकर भी चल नहीं सका। वर्षो बीत जाने के बावजूद प्रोसेसिंग प्लांट का भविष्य आज भी अधर में अटका है। इसके पीछे भी भारी घोटाले की संभावना है। उनके समय में ही करोड़ों की लागत पर किशनगंज में खुला था मिल्क प्लांट जिससे सेन सुधा ब्रांड नामक पैकेट बंद दूध की आपूर्ति होती थी लेकिन कुछ ही महीनों के बाद प्लांट हो गया बंद। वर्षो से उसका भविष्य भी अधर में अटका हुआ है।
उनके कार्यकाल में ही जिले के अन्दर समूहों में जितने इंदिरा आवास बने थे, उनकी स्थिति दयनीय है। रेफरो नामक एक स्वयंसेवी संस्था को विद्यालय में भवन तथा शौचालय आदि के निर्माण के लिए लगभग पचास लाख रुपये आवंटित किये गये थे, जो बिना काम किए उसे तीनों किश्त की राशि उपलब्ध करा दी गई थी। उसके बाद जो वह फरार हुआ तो आजतक आया ही नहीं। उसके खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज हुई है। रेफरो का मालिक आज भी पटना में खुलेआम बड़ी हस्तियों के साथ घूमता है लेकिन पुलिस की नजर में नहीं आता है।
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