ग्राम पंचायतों का चुनाव सिर पर है। हजारों लोगों का नाम एपीएल और वीपीएल सूची से गायब है। वे लोग इसके लिए मुख्यमंत्री के स्थान पर ग्राम पंचायत मुखिया को दोषी ठहरा रहे हैं, जबकि हम लोग सूची बनाने के लिए एक-एक परिवार का नाम आर्थिक हालात के अनुसार क्रमबद्ध करके जिला प्रशासन को डेढ़ वर्ष पहले सौंप चुके हैं। वहीं डीडीसी उमेश कुमार ने बताया कि 40 हजार परिवारों के विषय में निर्णय लेना एक लम्बी जटिल प्रक्रिया है। दिन-रात काम करके प्रशासन ने तीस हजार परिवारों को वीपीएल और 10 हजार परिवारों को एपीएल सूची में शामिल करने का निर्णय लिया है जिनका नाम सूची में चढ़ाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि मार्च महीने में संशोधित सूची प्रकाशित कर दी जाएगी। गौरतलब है कि जिन लोगों का नाम एपीएल-वीपीएल सूची में नहीं है, उन्हें किरासन तेल डीलर की अनुकंपा पर मिलता है जिससे ग्राम पंचायतों में भारी आक्रोश है।
Tuesday, March 16, 2010
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