पहले सुरजापुरी भाषा में लोक कलाकार नाटक के माध्यम से परंपरागत लोक गाथाओं को पीढ़ी दर पीढ़ी लोक जीवन में जीवित रखते थे। सन 1980 के दशक से बीडीओ फिल्म और उसके बाद टीवी ने लोक कलाकारों को हाशिए पर डाल दिया। लोग अपनी जड़ों से और संस्कृति से कटते जा रहे हैं। इसी को फिर से जीवंत करने के लिए लोक कलाकारों को एकत्र करके बीडिओ सीडी बनाकर लोक कला को जीवित करने का प्रयास किया जा रहा है। यह जानकारी पूर्व जिला परिषद उपाध्यक्ष सह पार्षद शकील अख्तर राही और जिला परिषद सदस्य ललित कुमार ने दी। वे लोग प्रसिद्ध धार्मिक स्थल ओदराघाट पर नागी नेर बचन की शूटिंग करवा रहे थे।
इस बीडीओ फिल्म को आधुनिक मशीनों से बड़े पर्दों पर दिखाने की जानकारी देते हुए डायरेक्टर विनोद कुमार सह किशनगंज जिला निवासी और कक्षा सात तक शिक्षा प्राप्त विनोद कुमार ने बताया कि वे बचपन में घर छोड़कर भाग गए थे और बाहर जाकर पूरब पश्चिम, कहानी घर घर की, पृथ्वीराज चौहान आदि दर्जनों फिल्म बनाने वालों के साथ काम किए और प्रेरणा मिली कि इस माध्यम से क्षेत्रीय कलाकारों को एक मंच पर लाकर क्षेत्रीय भाषा में फिल्म बनाकर लोक कला को जीवित रखा जा सकता है और आय भी होगी। उन्होंने कहा कि इसके पहले सुरजापुरी भाषा में बनी फिल्म मोर जीवन साथी क्षेत्र में हिट रही।
गौरतलब है कि आज नाग-नागिन की शूटिंग हो रही थी जिसमें पार्षद ललित कुमार, शकील अख्तर राही, कार्तिक कुमार, विकास दास, सुश्री इथेना दत्ता, शोभारानी, शाहिन, सलीम, पूजा, पूजा माझी, अमय साहा आदि ने अपने रोल अदा किए जिसे कैमरामैन कैमरे में कैद किया । इसके अलावा पैक्स अध्यक्ष सोयेब आलम,सह कलाकार के रुप में फाइट मास्टर संतोष कुमार, कमैरमैन नरेश कुमार, मेकपमैन नवीन , सुरजापुरी गीतकार लोकनाथ दास व गायक मो, एहसान शूटिंग स्थल मौजूद थे।
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