Friday, November 6, 2009

सड़क निर्माण की गुणवत्ता का ठेकेदार ने उड़ाई ने धज्जियां

एनबीसीसी और आएसडब्लूडी के प्रोजेक्ट मैनेजर और कार्यपालक अभियंता के आंखों के सामने प्राकृतिक बेडमिसाली बिछाकर प्रधानमंत्री सड़क के तकनीक की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। जिले के अन्दर किसी भी प्रधानमंत्री सड़क पर प्लांट मेड बेडमिसाली नही डाली गई है। इस बावत स्टेट हाई वे अररिया-ठाकुरंगज पथ के प्रोजेक्ट मैनेजर विमल कुमार विमल ने बताया कि बेड मिसाली अर्थात ग्रेनलर सब बेस का निर्माण उच्च स्तरीय प्लांट में बालू और 40 एमएम स्टोन चिप्स से किया जाता है। उन्होंने कहा कि तीन टन स्टोन चिप्स, एक टन बालू और निर्धारित मात्रा में पानी डालकर बेडमिसाली तैयार की जाती है।

उन्होंने बताया कि एक बार में चार टन बेडमिसाली तैयार करने वाले प्लांट में कंप्यूटर लगा होता है,जो बालू, स्टोन चिप्स और पानी को मिक्स करके बेडमिसाली तैयार करता है। प्रोजेक्ट मैनेजर श्री विमल ने कहा कि प्लांट में तैयार बेडमिसाली को सड़क पर बिछाकर शेष अन्य प्रक्रिया पूरी करने की तकनीक आईआईटी रुड़की ने ईजाद ने केन्द्र सरकार को दिया है और केन्द्र प्रायोजित सड़कों के निर्माण में प्लांट मेड बेड मिसाली बिछाना चाहिए। इधर जिले में बन प्रधानमंत्री पथ पर सिलीगु़ड़ी की प्राकृतिक बेडमिसाली डालकर काम चलाया जा रहा है जिसमें पानी, पत्थर और बालू के मिश्रण का कोई तालमेल नही है। बेडमिसाली में पांच किलोग्राम से सौ ग्राम तक पत्थर खुलेआम देखा जा सकता है। इस संबंध में एनबीसीसी के प्रोजेक्ट मैनेजर के।के। गुप्ता ने बताया कि बेड मिसाली में स्टोन चिप्स की मात्रा न्यूनतम 65 प्रतिशत होनी चाहिए।

इसके लिए वे लोग मौके पर जाकर एक निश्चित मात्रा में प्राकृतिक बेडमिसाली को 60 एमएम के झन्ने से झाड़ते हैं और औसत मात्रा सही मिलने पर ही उसे ओके करते हैं। आरएसडब्लूडी के कार्यपालक अभियंता विनोद कुमार ने भी इसी बात की जानकारी दी। उन्होंने कहा चार दिन पहले कार्यशाला का आयोजन करके ठेकेदारों को गुणवक्ता को बनाए रखते हुए ससमय सड़क निर्माण की जानकारी दी गई है । इस संदर्भ में स्थानीय सांसद मौैलाना असरारूल हक काशमी ने आश्वस्त किया कि यदि नकली बेडमिसाली की बात सही निकली तो उच्च स्तरीय जांच करायी जाएगी।

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