Monday, May 18, 2009

2.30 लाख मत प्राप्त करके हार गए थे चुनाव

हार-जीत और यश-अपयश मानव के हाथ में नही हैं। यह कहावत 15 वीं लोकसभा चुनाव पर भी सटीक है। लगातार चार चुनाव में डेढ़ लाख से अधिक मत प्राप्त करने वाले शान्ति प्रिय नेता मौलाना अशरारुल हक काशमी 16 मई को 2।39 लाख से अधिक मत प्राप्त करके 12।90 प्रतिशत के अन्तर से जदयू प्रत्याशी सैयद महमूद अशरफ को हराकर लोकसभा में पहुंच गए। यदि भाग्य साथ देता तो, श्री मौलाना पहले ही लोकसभा में पहुंच चुके होते ।
वे 1989 में 4।74 प्रतिशत के अन्तर से चुनाव हार गए थे। तब उन्हे 1,52 हजार पांच सौ 65 मत मिला था। इसी प्रकार 1998 में उन्हें दो लाख तीस हजार 256 मत मिला था और चुनाव हार गए थे। सनद रहे कि 1998 और 2009 के चुनाव परिणाम में केवल नौ हजार का अन्तर है,लेकिन श्री मौलाना को इस चुनाव में लीड मिली 81 हजार एक सौ 24 मतों का, वहीं 1998 में नौ मत कम पाकर वे चुनाव हार गए थे।
इस परिणाम को देखकर कहा जा सकता है कि ऊपर वाला भी सिर पर हाथ रखकर खड़ा हो, आवाम के दिल में भी जगह मिले और चुनाव आयोग निष्पक्ष चुनाव कराए, तब किसी भाग्यवान को देश की सर्वोच्च पंचायत में बैठने का मौका मिलता है और ऐसा मौका मिले तो समर्थक रातभर जश्न मनाएंगे ही, जैसा कि 16 मई को रात साढ़े दस बजे जब चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद देखने को मिला, नारा और पटाखा से शहर गूंजने लगा ।

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