Wednesday, May 13, 2009

हरित क्रांति कृषकों के लिए वरदान : वैज्ञानिक

कृषि वैज्ञानिक केन्द्र किशगनंज के कार्यक्रम समन्वयक डा। भी.के. मिश्रा के निर्देश पर शोध वैज्ञानिक डा. मनोज कुमार एवं गृह विज्ञान वैज्ञानिक श्रीमती नंदिता कुमारी ने डाइग्नोस्टिक सर्विस के अंतर्गत ग्राम महीनगांव पारूपान टोला का शनिवार को भ्रमण किया। इस दौरान कृषकों को डा. मनोज कुमार ने बताया कि बोरो धान की कटनी के उपरांत कटे हुए खेतों में ढैंचा या सनई की खेती करके 50-60 दिनों के बाद मिट्टी में मिला दिया जाए तो मिट्टी की उर्वरा शक्ति में हो रही गिरावट से निजात तो मिलेगा ही रासायनिक खाद के चंगुल से भी धीरे-धीरे मुक्ति मिल जाएगी ।

वैज्ञानिक नंदिता ने भी इस अवसर पर किसानों को कई टिप्स दिए जिसमें महीन, सुगंधित व गुणवत्तायुक्त खरीफ फसल में धान की खेती की जानकारी दी । उन्होंने बताया कि बढ़ती हुई जनसंख्या के लिए गुणवत्तायुक्त चावल के साथ विदेशी मुद्रा का भी अर्जन खरीफ फसल में धान की खेती करके की जा सकती है । इस अवसर पर प्रमुख कृषक के रूप में राजेन्द्र पासवान, जमीन अख्तर, सैफ उल्लाह, मो. सिकन्दर आलम, नुरूल इस्लाम सहित दर्जनों कृषक मौजूद थे।

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