Wednesday, May 20, 2009

सुशासन में निर्भीक होकर मतदाताओं ने किया मतदान

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के भयमुक्त शासन में पहली बार दबे-कुचले और गरीबों ने भी किया निर्भय होकर मतदान। इसके पहले ऐसे लोग नही जाते थे मतदान करने और दूसरे डालते थे उनका मत। इस वजह से भी तीन बार द्वितीय व एक बार तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले कांग्रेस प्रत्याशी मौलाना असरारुल हक हार जाते रहे चुनाव। यह प्रतिक्रिया कोचाधामन, किशनगंज और बहादुरगंज विधानसभा के दबे-कुचले बस्ती में रह रहे मतदाताओं की हैं।

अपना नाम नही छापने और काग्रेस प्रत्याशी श्री हक को बधाई देते हुए इन बस्तियों के गरीबों ने बताया कि नीतीश बाबू के मुख्यमंत्री बनने के पहले वे लोग वोट डालने नही जाते थे। मत पड़ने के पहले गांव के कुछ दबंग लोक आते थे और दस -पांच रुपए सभी में बांटकर हिदायत दे जाते थे कि कोई भी मतदान करने नही जाएंगा ,यदि गए तो मतदान के बाद अपनी खैर नही समझेंगे, ऐसे लोगों को किसी न किसी मामले में फांस जेल भेज दिया जाएगा।

गरीबों के अनुसार इस बार भी वे लोग आए और कहा कि सभी लोगों को वोट डालने के लिए जाना है। वे लोग गए और जो प्रत्याशी पसन्द आया, उसे वोट दिए। सनद रहे है कि 15 वीं लोकसभा का चुनाव कई मामले में गत चुनावों से जुदा रहा । आपराधिक प्रवृत्ति के लोग कुछ इलाकों में अपना रंग दिखाना चाहे, जहां उन्हें कड़े प्रतिकार का सामना करना पड़ा। यह जानकारी देते हुए कई चुनाव लड़ चुके एक बुजुर्ग नेता ने कहा कि चुनाव के पहले किशनगंज लोकसभा क्षेत्र में अपराध का ग्राफ अचानक बढ़ जाता था और उसका आतंक चुनाव समाप्त होने तक कायम रहता था।

चुनाव के बाद प्राथमिकी को दौर शुरु होता था जिस पर नीतीश के शासनकाल में विराम लगा। उन्होंने बताया कि 15 वीं लोकसभा के चुनाव में निर्भय होकर मतदाताओं ने मतदान किया और जिसका व्यक्तित्व सब पर भारी पड़ा, वह उम्मीदवार मौलाना श्री हक चुनाव जीत गए।

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