सुशासन की सरकार सरपंचों के साथ सौतेलापन का व्यवहार कर रही है। निर्वाचित हुए लगभग चार साल होने के पश्चात, सरपंचों को कोई अधिकार नहीं दिया गया है। ये बातें जिला सरपंच संघ के अध्यक्ष सफी आजम ने गुरूवार को आयोजित जिलास्तरीय सरपंचों के बैठक को संबोधित करते हुए कहा। श्री आजम ने सरकार द्वारा सरपंचों के साथ किए गए भेदभाव को बिन्दुवार प्रकाश डालते हुए कहा कि अभी तक स्थायी ग्राम कचहरी का भवन नहीं होना, न्यायिक अधिकारी नहीं मिलना, ग्राम कचहरी में आये वादों पर पुलिस का अडं़गा, संचालन की दिशा में ठोस दिशा निर्देश नहीं मिलना, प्रशिक्षण आदि नहीं कराना सरकार की मंशा को उजागर करता है।
उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि एक जगह जख्म हो तो दिखाई पूरा शरीर जख्मों से भरा पड़ा है। न्याय करने वाला खुद अपने न्याय के लिए दर-दर की ठोंकरे खा रहा है। सरपंचों को एमएलसी के निर्वाचन में वोट देने से भी वंचित कर दिया है । सरकार द्वारा किए जा रहे सरपंचों के जुल्मों सितम से आजिज होकर सरपंच संघ ने उग्र आंदोलन छेड़ने की बात कही है। वहीं जिला प्रवक्ता दिनेश कर्मकार ने अपने संबोधन में कहा कि सुशासन की सरकार में सरपंच को उपेक्षित कर समाज के सामने नीचे दिखाने का काम जारी है।
उन्होंने इशारे-इशारे में कहा कि पीड़ित पक्ष ग्राम कचहरी आता है, दूसरा पक्ष थाना पहुंच जाता है। सरपंचों के सामने थानेदार पीड़ितों को ही उल्टे धमकाते है और उसे हिरासत में भी ले लेते हैं। उन्होंने बताया कि ग्राम कचहरी के अधिकारों के साथ खुलेआम सरकारी तंत्र चीर हरण करने पर आमादा है। सरपंच अपने आप को असहाय महसूस कर रहा है। उन्होंने कहा कि मचे की बात यह है कि मानदेय के तौर पर सभी ग्राम कचहरियों में राशि भेज दी गई है लेकिन दिशा-निर्देश के अभाव में भुगतान नहीं हो रहा है। बैठक में 126 सरपंच मौजूद थे।
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