Friday, April 30, 2010

1965 में मृत रेल कर्मी के पुत्र को नहीं मिली नौकरी

लगभग 45 वर्ष पूर्व रेल दुर्घटना के दौरान मृत रेल कर्मचारी की विधवा अनुकंपा के आधार पर अपने पुत्र को नौकरी दिलाने के दर दर की ठोंकरे खा रही है। परिवार की दयनीय हालत के बावजूद रेलवे की कुंभकर्णी निद्रा नहीं टूट रही है। और तो और यह स्थिति तब है जब क्षेत्र के सांसद रहने के दौरान तस्लीमुद्दीन एवं सैयद शाहनवाज ने तत्कालीन रेलमंत्री को पत्र लिख अनुकंपा के आधार पर नौकरी प्रदान करने की अनुशंसा की थी ।

ठाकुरगंज प्रखंड के गलगलिया के रहने वाली शुभकला देवी के पति रामचंद्र महतो सिलीगुड़ी जंक्शन के यार्ड में संटिग जमादार के पद पर कार्यरत थे। ड्यूटी के दौरान ट्रेन से कटकर पांच नवम्बर 1965 को इनकी मृत्यु हो गई थी। रामचंद्र महतो की मृत्यु के समय उनका पुत्र अशोक तीन वर्ष का तथा पुत्री डेढ़ वर्ष की थी। पति के मृत्यु के बाद शुभकला देवी को कहा गया कि जब पुत्र की उम्र 18 वर्ष होगी तब नौकरी मिलेगी। इस कारण 1981 में अशोक के इंटर पास करने एवं व्यस्क होने के बाद अनुकंपा के आधार पर नौकरी के लिए उन्होंने आवेदन दिया। यह क्रम तब से लगातार जारी है। वर्ष 1986 में रेलवे में कार्यरत कल्याण निरीक्षक ने पीड़ित परिवार से मिलकर कागजातों की जांच की तथा जल्द न्याय का भरोसा दिलाया। कटिहार मंडल रेल कार्यालय में कार्यरत कल्याण निरीक्षक द्वारा रेल महाप्रबंधक को छह अगस्त 1986 को पत्रांक एल/227/13 पीएफ 4 के तहत प्रतिवेदन समर्पित किया। पुन: कल्याण निरीक्षक द्वारा 1987 में पत्रांक 586/ई/81/1(डब्लू) कटिहार दिनांक 20.2.1987 भेजा गया, परंतु पुत्र को नौकरी नहीं मिली।

अल्बत्ता 1994 से पेंशन मिलनी शुरू हो गई। इस दौरान वर्ष 1986 में तत्कालीन रेल राज्य मंत्री माधवरज सिंधिया एवं सांसद शहाबुद्दीन तथा तारिक अनवर से तथा 1996 में सांसद तस्लीमुद्दीन तथा 2000 में युवा मामले के राज्यमंत्री तथा स्थानीय सांसद शाहनवाज हुसैन से विधवा महिला शुभकला देवी ने गुहार लगाई। तस्लीमुद्दीन ने तत्कालीन रेलमंत्री रामविलास पासवान एवं शाहनवाज हुसैन ने ममता बनर्जी को पत्र लिख पूर्व रेलकर्मी के परिवार को अनुकंपा के आधार पर नौकरी की अनुशंसा की। परंतु मामला फाइलों में दबकर रह गया। इस दौरान आर्थिक परेशानी से जूझ रही शुभकला देवी एवं उनका परिवार निराश है। अब सवाल उठता है कि एक रेल कर्मी की कार्य के दौरान मौत पर रेलवे इतना संवेदनहीन क्यों है।

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