Friday, April 9, 2010

सरकारी टी प्रोसेसिंग प्लांट के अधिग्रहण में छिपा है सुनहला भविष्य

विक्रम इंडिया जब तक प्लांट को चला कर उससे चाय बनाकर दिखा नहीं देगा तब तक प्लांट का किसी भी हालत में अधिग्रहण संभव नहीं है । दूसरी ओर विक्रम इंडिया को इसे चालू करने के लिए 25 लाख रूपये मांग कर रहा है जिससे इसकी ओवर हालिंग हो सके एवं जो कल पुर्जे जो खराब हो चूका है उन्हें बदला जा सके । इस संबंध में जिला ग्रामीण विकास अभिकरण के निर्देशक व्यास मुनि प्रधान का स्पष्ट मानना है कि 25 लाख का विक्रम इंडिया का प्राक्कलन सही है अथवा नहीं इसका जांच उनके तकनीकी सलाहकार एस।गंगोपाध्याय करेंगे तभी ं ग्रामीण विभाग विभाग आधा राशि देगा जिससे प्लांट को चालू किया जा सके।

गौरतलब है कि यह प्लांट जून 2006 से बन कर तैयार है इसके निर्माता संवेदक विक्रम इंडिया का तत्कालीन जिला पदाधिकारी के सेन्थिल कुमार एवं उप विकास आयुक्त श्रीराम मांझी के कार्यकाल में ही लगभग साढ़े आठ करोड़ रूपये का भुगतान कर दिया गया था, अब मात्र साढ़े सात लाख रूपये बांकी है । लेकिन कतिपय विभागीय कार्रवाईयों के कारण एवं बिहार सरकार के ग्रामीण विकास विभाग की कुंभकर्णी तंद्रा के कारण पिछले चार वर्षो से तैयार टी पोसेसिंग प्लांट जग का समर्पित हो रहा है। इसी प्लांट के साथ सरकारी क्षेत्र का एक टी प्रोसेसिंग का निर्माण त्रिपुरा में हुआ था, वह प्लांट सफलता पूर्वक चल रहा है लेकिन बिहार के लिए गौरव का प्रतीक यह प्लाट कागजी कार्रवाईयों एवं मूलत: ग्रामीण विकास विभाग की कुंभकर्णी निद्रा के कारण धूल -धूसरित हो जंग को समर्पित हो रहा है।

किशनगंज जिला ग्रामीण विकास अभिकरण को इसका अधिग्रहण करना है इसके लिए बिहार सरकार के ग्रामीण विकास विभाग से आवश्यक निर्देशक की प्रतीक्षा है जिसके लिए विभाग को कई बार लिख जा चूका है लेकिन इस संबंध में जिला को अभी तक कोई निर्देश प्राप्त नहीं हुआ है निर्देश प्राप्ति के बाद ही प्लांट का अधिग्रहण संभव है । दूसरी ओर निर्माता संवेदक विक्रम इंडिया के गले की फास बन गया है यह प्लांट, जबतक इसका अधिग्रहण नहीं हो जाता है तबतक उसे मुक्ति नही मिल सकती है उसके रख रखाव पर विक्रम इंडिया को खर्च करना पड़ा रहा है ।

No comments:

Post a Comment