Tuesday, April 13, 2010

जिले में तीन कोटि के हाट में बड़ी हाटें हैं सत्रह

मात्र एक अनुमंडल, सात प्रखंड एवं लगभग 14 लाख की आबादी वाले बिहार के पूर्वोत्तर सीमांत पर स्थित किशनगंज जिला में कुल 67 राजस्व हाट हैं। इनमें तीन कोटि के हाट हैं। प्रथम कोटि के अंतर्गत वैसी हाट आती हैं जिनका राजस्व पांच हजार या उससे कम है। इन हाटों की नीलामी अंचल स्तर पर की जाती है। दूसरी कोटि में वैसी हाट आती हैं जिनका राजस्व बीस हजार से कम होता है। इन हाटों की नीलामी उप समाहर्ता भूमि सुधार द्वारा की जाती है। तीसरी कोटि में वैसी हाटें हैं जिनसे सरकार को सर्वाधिक राजस्व मिलते हैं। ऐसी हाटों की संख्या 17 हैं।

इन्हीं 17 हाटों से जिला को लगभग चालीस लाख का राजस्व प्राप्त हो जाता है। इन बड़ी हाटों में सर्वाधिक राजस्व देने वाली हाट है खगड़ा हाट एवं गुदरी, दूसरे नम्बर पर बड़ी हाट है लोहागाड़ा हाट एवं तीसरे नम्बर की बड़ी हाट विशनपुर हाट। इन सभी हाटों में दैनिक उपयोग की सारी चीजें उपलब्ध हो जाती है। लेकिन लोहागाड़ा हाट विशेष रूप से पशुहाट के रूप में भी जाना जाता है। जिले को हाट राजस्व के मद में सर्वाधिक राजस्व देने वाली खगड़ा हाट के संवेदक अजय कुमार साहा ने पूछे जाने पर बताया कि सरकार तो हाटों की नीलामी से पर्याप्त राजस्व प्राप्त कर लेती है लेकिन सुविधा मुहैया कराने के नाम पर वह पूर्णत: असफल है। सरकार की ओर से साफ सफाई, रोशनी, जलापूर्ति की व्यवस्था लगभग शून्य है।

श्री साहा ने बताया कि उन्होंने स्वयं हाट में खरीददारों एवं विक्रेताओं के लिए चापाकल आदि की व्यवस्था की है। शेड के संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि दशकों पूर्व निर्मित कुछ शेड जर्जर हालत में मौजूद तो है लेकिन धूप, गर्मी एवं बरसात से राहत नहीं पहुंचा पाते हैं। वैसे ही दिघलबैंक में हाटों की बंदोबस्ती लेने वाले मदन कुमार सिंह ने बताया कि सरकार राजस्व वसूलना जानती है, सुविधाएं प्रदान करना नहीं, हाट के ठेकेदारों को ही सारी व्यवस्था अपने स्तर से करनी होती है।

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