Wednesday, April 21, 2010

नीति के जाल में महंगाई,प्रशासन और आवास

नीति के जाल में महंगाई, प्रशासन और आवास निर्माण का कार्य उलझ गया है। एसएसबी बटालियन मुख्यालय के लिए 8।90 करोड़ राशि आवंटित होने के बाद भी लगभग 15 माह से 85 एकड़ जमीन के अधिग्रहण की सूचना भूमि मालिकों को नही दी गयी है। जमीन की कीमत प्रतिदिन बढ़ रही है और भूमि का मूल्यांकन लगभग दो वर्ष पहले किया गया है जिसके कारण अधिग्रहण में पेंच आएगा। इसी प्रकार आईएचएसडीपी के द्वितीय चरण की फाइल जिससे 786 आवास नगर परिषद किशनगंज में बनना है और यह फाइल आवास एवं विकास निगम पटना में मार्च 2010 से धूल खा रही है।

इसके साथ के अन्य जिलों के डीपीआर स्वीकृत हो गए हैं। इस योजना के तहत ं प्रथम चरण में 12 करोड़ रुपए से तैयार 552 आवासों तक बुनियादी सुविधाएं राशि के अभाव में अधर में हैं । नगर परिषद किशनगंज के अंदर लगभग नौ हजार हैं आवास हैं जिसमें से आधे से अधिक आवास राशि के अभाव में नाली, सड़क और सफाई व्यवस्था के दंश झेल रहे हैं। इससे इतर भवन निर्माण विभाग ने दावा किया है कि 3।90 लाख वर्ग फुट सरकारी आवास जिले में है जो ठीक-ठाक है। सौ शैया वाला अल्पसंख्यक छात्रावास का अधूरा कार्य सात वर्ष बाद फरवरी में निविदा के बाद शुरू होने की जानकारी भवन निर्माण विभाग ने दी। इसी प्रकार साढ़े सात सौ रुपए प्रति वर्ग फुट भवन की लागत आने से जिले में दो सौ वर्ग फुट में बन रहे इन्दिरा आवास पूर्ण नहीं हो रहे हैं। हालात यह है कि मानक के अनुसार बने 90 प्रतिशत आवासों पर छत नहीं पड़ रही है। इधर महंगाई का यह हाल है कि एक फूस का मकान बनाने में 25हजार रुपए का खर्च आ रहा है ।

बहादुरगंज की बीडीओ कुमारी नीरा वर्मा और कोचाधामन के बीडीओ संजय कुमार ने बताया कि प्रत्येक लाभुक लिखकर देते हैं कि उन्हें इन्दिरा आवास की राशि उपलब्ध कराई जाए,वे इतनी राशि में इन्दिरा आवास बना लेंगे। वहीं बहादुरगंज के जेई पारसनाथ सिंह ने बताया कि इन्दिरा आवास की लम्बाई,चौड़ाई और ऊंचाई मिलकर लगभग 180 से दो सौ फुट निर्धारित है, जो 35 हजार रुपए से पूर्ण हो जाता है

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