Wednesday, September 30, 2009

पैक्स चुनाव: दिघलबैंक के सैकड़ों मतदाताओं का नाम सूची में नदारद

भौगोलिक दृष्टिकोण से दो नदियों के बीच बसा हुआ है प्रखंड क्षेत्र अन्तर्गत स्थित कई ग्राम पंचायतें । इस बार 18 अगस्त को अचानक प्रलयंकारी बाढ़ आई जिससे ये सभी ग्राम पंचायतें अभी भी प्रभावित हैं। सतकौआ पंचायत अंतर्गत नैनभीट्टा घाट का है। जहां नव निर्मित मुख्यमंत्री सेतु धंस जाने व एप्रोच बह जाने से लोगों का आर-पार होना असंभव हो गया है। जिससे मुख्यत: सतकौआ, लोहागाड़ा व लक्ष्मीपुर पंचायत के दर्जनों गांव के लोग प्रभावित हैं तथा यहां के लोगों के लिए आज भी मुख्य सड़क तक पहुंच पाना या प्रखंड मुख्यालय व प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र तक पहुंच पाना एक चुनौती से कम नहीं है क्योंकि इसके अलावे दो गिरजा गांव स्थित पुल का एप्रोच व नैनभीट्टा घाट तथा दोगिरजा गांव के बीच भी सड़क बह गया है। जहां लोगों को जान जोखिम में डालकर चचरी पार करना पड़ रहा है।

नैनभीट्टा घाट पर मौजूद यात्रियों से पैसे वसूली कर रहे जागो महतो ने बताया कि चचरी उनके व उनके कुछ ग्रामीणों द्वारा निजी पैसों से बनाया गया है। फलत: वे उगाही कर रहे हैं। साथ ही उन्होंने बताया कि बाढ़ के दस दिन बाद तक आवागमन को सुचारू बनाने के लिए जब किसी ओर से कोई प्रयास नहंी किया गया तब उनके द्वारा यह वैकल्पिक व्यवस्था की गई है। वहीं स्थानीय मुखिया शंकर गुप्ता आनंद ने बताया कि धान कटनी के बाद कटानों में मिट्टी भराई कार्य कराया जाएगा।

साथ ही उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री सेतु निर्माण में ही व्यापक अनियमितता हुई है व इस संदर्भ में निर्माण के दौरान ग्रामीणों द्वारा अभिकर्ता सहित विभागीय अधिकारी से भी शिकायत की गई थी। जिस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। वहीं लोहागाड़ा पंचायत के मुखिया बहारअली व लक्ष्मीपुर के मुखिया अखलेसुर रहमान ने बताया कि इस मार्ग के अवरुद्ध हो जाने से उन्हें या उनके पंचायत क्षेत्र क्षेत्र के लोगों को प्रखंड मुख्यालय आदि तक पहुंचने हेतु अनावश्यक लम्बी दूरी तय करनी पड़ती है।

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