Tuesday, June 9, 2009

नरेगा : सड़कों के निर्माण तक सीमित

भारत सरकार की महत्वाकांक्षी योजना राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी येाजना प्रखंड में सड़कों के निर्माण तक ही सीमित रह गई। योजना लागू होने के बाद से करोड़ों रुपये खर्च हो गए लेकिन नरेका को कार्यान्वयन करने वाले लोग इसे वृहद बना पाने में असफल साबित हुए हैं। वृक्षारोपण, जल संरक्षण जैसे कार्य कभी भी प्राथमिकता नहीं बन पाए।

हालांकि जल संरक्षण के नाम पर इक्का दुक्का ही तालाबों का निर्माण हुआ परंतु आज तक वृक्षारोपण जैसे महत्वपूर्ण कामों पर प्रशासनिक मामले की नजर नहीं पड़ी। पर्याप्त राशि की उपलब्धता के बावजूद नरेगा के कार्यान्वयन करने वालों के एजेंडे में हरियाली का न जुड़ना भी कई सवाल खड़े करता है। इस योजना के प्रारंभ में सरकार ने जल संरक्षण, भूमि संरक्षण, रोजगार सृजन के साथ ही साथ पर्यावरण संतुलन के लिए वृक्षारोपण को सर्वोच्च प्राथमिकता देने की बात कही थी।

लेकिन प्रखंड में नरेगा योजना मुख्य रूप से सड़कों के निर्माण का कार्य बन कर रह गया। पर्यावरण को बेहतर बनाने की कोशिश नहीं होने से नरेगा जैसे महत्वपूर्ण योजना मजाक बनकर रह गई है। प्रखंड में हालत यह है कि चाहे पंचायतों को मिलने वाली राशि हो या पंचायत समिति द्वारा होने वाले कार्य या जिला परिषद, विधायक या सांसद सभी का जोर सड़कों पर है।

मुख्यमंत्री सड़क योजना एवं प्रधानमंत्री सड़क योजना जैसे कार्य तो हैं ही यानी सभी का जोर सड़कों पर है। इस कारण पर्यावरण संरक्षण जैसे कार्य बेकफूट पर चले गये हैं। क्षेत्रीय नागरिक प्रो। दिलीप यादव की यदि मानें तो नरेगा रोजगार पैदा करने की नहीं बल्कि पर्यावरण संरक्षण के लिए दुनिया की सबसे बड़ी योजना साबित हो सकती है। यदि इसमे परंपरागत जल स्त्रोतों के संरक्षण से लेकर, वृक्षारोपण तक शामिल कर लिया जाय लेकिन प्रखंड में नरेगा पैसा खर्च करने की योजना बन गई है।

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