Wednesday, June 3, 2009

शिक्षा विभाग की लापरवाही का खामियाजा कई विद्यालयों को उठाना पड़ता है

शिक्षा विभाग की लापरवाही का खामियाजा ऐसे विद्यालयों को उठना पड़ रहा है जिनके विद्यालयों को भूमि का निबंधन तो 2009 में हो है परंतु भवन निर्माण के इनकी राशि का आवंटन वित्तिय वर्ष 2005-06 में ही कर दिया गया। लगातार बढ़ती महंगाई से परेशान ऐसे शिक्षकों ने सर्वशिक्षा अभियान के जिला कार्यालय से जब प्राक्कलन सुधार की मांग की तो वहां से टका सा जवाब दे दिया गया कि प्राक्कलन में संशोधन नहीं हो सकता।

सूचना के अधिकार के तहत जिला शिक्षा अधीक्षक से जब इस आशय की जानकारी मांगी गई तो पत्रांक संख्या बीईपी/298 दिनांक 20।05।09 के जरिए उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि बिहार शिक्षा परियोजना परिषद पटना का प्राक्कलन मोडल होता है जिसमें संशोधन नहीं हो सकता। जिला शिक्षा अधीक्षक का तो यहां तक दावा है कि पूराने प्राक्कलन में भी भवन निर्माण संभव है। सुचना के अधिकार के तहत पूछे गये सवाल के जवाब कई नये सवाल खड़ा करता है। जब पुराने प्राक्कलन से भवन निर्माण संभव है तब नये प्राक्कलन की क्या जरूरत है।

ज्ञात हो पहले प्राक्कलन में 6 लाख 83 हजार का आवंटन होता था वहीं नये प्राक्कलन में यह राशि बढ़ा कर 9 लाख 18 हजार कर दी गई है। एक तरफ विभाग पुराने प्राक्कलन से ही भवन निर्माण का दावा करता है तो फिर नये एवं पुराने प्राक्कलन में 2 लाख 35 हजार का फर्क क्यों। जब भवन निर्माण एक ही तरफ से होना है वहीं कई शिक्षकों ने बताया कि जब भवन निर्माण के लिए भूमि ही अनउपलब्ध थी तो राशि निर्गत क्यों हुई।

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