Wednesday, December 23, 2009

चाय की खेती से जिले में आई

जिले में चाय की खेती से आई है हरित क्राति, बेरोजगारों को मिला है रोजगार, ऊसर और बेकार भूमि सोना उगलने लगी है। चाय की खेती करने वालों की आर्थिक स्थिति में हुआ व्यापक सुधार आदि तथ्यों से अवगत कराते हुए अशोक बिहार की प्लान्टेशन डेवलपमेंट सोसायटी की ओर से लगभग पचास चाय उत्पादकों द्वारा हस्ताक्षरित ज्ञापन जिला पदाधिकारी को दिया गया तथा उनसे चाय खेतिहरों को वांछित सुरक्षा प्रदान करने की मांग की गई। इन उत्पादकों ने जिला पदाधिकारी को बताया कि सम्प्रति जिला में 25 हजार एकड़ जमीन में चाय उत्पादक चाय की खेती कर रहे हैं एवं उतनी ही संख्या में मजदूर कार्यरत हैं।

इतनी बड़ी संख्या में मजदूरों को रोजगार मिल जाने से मजदूरों का पलायन काफी कम हो गयी। उनलोगों ने बताया कि चाय हरी पत्ती की लूट की घटनाओं से एक ओर जहां अराजक तत्वों की सक्रियता उजागर हो रही है। वहीं जिले में चाय की खेती प्रभावित हो रही है। उन्होंने बताया कि जिनका स्वार्थ नहीं सध रहा है, वे ही मुट्ठी भर लोगों को भ्रमित कर चाय पत्ती की लूट की घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। सदस्यों ने जिला पदाधिकारी को बताया कि वैसे नेताओं जिनके बहकावे में आकर अराजक तत्व लूट को अंजाम दे रहे हैं।

वैसे तत्वों पर अविलंब अंकुश आवश्यक है। उनलोगों ने चार सूत्री मांग पेश कर किशनगंज के व्यापक हित में उचित कार्रवाई की मांग की है। इससे पहले गांधी चौक के बगल दफ्तरी के परिसर में बैठक करके डेड़ सौं किसानों ने सुनाई एक दूसरे का आप बीती और मुख्यमंत्री से चाय नीति बनाने की मांग करते हुए कहा कि जो लोग लीज पर अपना खेत दस वर्ष पहले से दे रखें, कानून के अनुसार उस जमीन से उनका मलिकाना हक छीन लिया जाए। ऐसा नही किया गया तो किशनगंज से चाय की खेती उजड़ जाएगी और हजारों किसान बरबाद हो जाएंगे।

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