Tuesday, May 11, 2010

महंगाई, अफसरशाही एवं भ्रष्टाचार के खिलाफ बसपा ने दिया धरना

महिलाओं को मिले 50 प्रतिशत आरक्षण, अनियंत्रित हो चुकी है महंगाई एवं अफसरशाही पर अंकुश लगना चाहिए। यह मांग बसपा ने की। सोमवार को यह बाते समाहरणालय के समाने बहुजन समाज पार्टी के सदस्यों ने धरना देते हुए कहीं। इससे पहले बसपा के कार्यकर्ताओं ने नीतीश सरकार पर करारा प्रहार किया एवं बीस सूत्री ज्ञापन सौंपा जिला पदाधिकारी को सौंपा जिसमें उत्तरप्रदेश के पूर्व मंत्री जनक जी, बिहार प्रदेश के प्रदेश महासचिव राजेश त्यागी, प्रदेश सचिव रविदास एवं जिलाध्यक्ष दिलीप विद्यार्थी, जिला महासचिव पांडव झा,द्रोपदी देवी, दिनेश राम, अधिवक्ता जुबैर आलम, अधिवक्ता किशनलाल शर्मा, प्रहलाद झा, सपन कुमार, सीता हेम्ब्रम, संजलि सोरेन, आदि नेताओं ने जमकर बिहार सरकार एंव केन्द्र सरकार की जनविरोधी नीतियों पर किया करारा प्रहार, नियमित रूप से विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करने की मांग की तथा केन्द्र सरकार से मांग की । साथ ही दूरदर्शन एवं राष्ट्रीय चैनलों के माध्यम से किसानों को प्रशिक्षित करने की मांग की । वक्ताओं ने किशनगंज में एएमयू की शाखा अविलंब खोलने, रमजना नदी को अतिक्रमण मुक्त करने, बंद पड़े नलकूपों को चालू करने, किशनगंज रेलवे स्टेशन पर निर्मित पिटलाइन को चालू कराने पर भी जोर दिया ।

1 comment:

  1. खुद्दार एवं देशभक्त लोगों का स्वागत है!


    सामाजिक क्षेत्र में कार्य करने वाले हर व्यक्ति का स्वागत और सम्मान करना प्रत्येक भारतीय नागरिक का नैतिक कर्त्तव्य है। इसलिये हम प्रत्येक सृजनात्कम कार्य करने वाले के प्रशंसक एवं समर्थक हैं, खोखले आदर्श कागजी या अन्तरजाल के घोडे दौडाने से न तो मंजिल मिलती हैं और न बदलाव लाया जा सकता है। बदलाव के लिये नाइंसाफी के खिलाफ संघर्ष ही एक मात्र रास्ता है।

    अतः समाज सेवा या जागरूकता या किसी भी क्षेत्र में कार्य करने वाले लोगों को जानना बेहद जरूरी है कि इस देश में कानून का संरक्षण प्राप्त गुण्डों का राज कायम होता जा है। सरकार द्वारा जनता से टेक्स वूसला जाता है, देश का विकास एवं समाज का उत्थान करने के साथ-साथ जवाबदेह प्रशासनिक ढांचा खडा करने के लिये, लेकिन राजनेताओं के साथ-साथ भारतीय प्रशासनिक सेवा के अफसरों द्वारा इस देश को और देश के लोकतन्त्र को हर तरह से पंगु बना दिया है।

    भारतीय प्रशासनिक सेवा के अफसर, जिन्हें संविधान में लोक सेवक (जनता के नौकर) कहा गया है, व्यवहार में लोक स्वामी बन बैठे हैं। सरकारी धन को भ्रष्टाचार के जरिये डकारना और जनता पर अत्याचार करना प्रशासन ने अपना कानूनी अधिकार समझ लिया है। कुछ स्वार्थी लोग इनका साथ देकर देश की अस्सी प्रतिशत जनता का कदम-कदम पर शोषण एवं तिरस्कार कर रहे हैं। ऐसे में, मैं प्रत्येक बुद्धिजीवी, संवेदनशील, सृजनशील, खुद्दार, देशभक्त और देश तथा अपने एवं भावी पीढियों के वर्तमान व भविष्य के प्रति संजीदा व्यक्ति से पूछना चाहता हूँ कि केवल दिखावटी बातें करके और अच्छी-अच्छी बातें लिखकर क्या हम हमारे मकसद में कामयाब हो सकते हैं? हमें समझना होगा कि आज देश में तानाशाही, जासूसी, नक्सलवाद, लूट, आदि जो कुछ भी गैर-कानूनी ताण्डव हो रहा है, उसका एक बडा कारण है, भारतीय प्रशासनिक सेवा के भ्रष्ट अफसरों के हाथ देश की सत्ता का होना।

    शहीद-ए-आजम भगत सिंह के आदर्शों को सामने रखकर 1993 में स्थापित-"भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान" (बास)- के सत्रह राज्यों में सेवारत 4300 से अधिक रजिस्टर्ड आजीवन सदस्यों की ओर से मैं दूसरा सवाल आपके समक्ष यह भी प्रस्तुत कर रहा हूँ कि-सरकारी कुर्सी पर बैठकर, भेदभाव, मनमानी, भ्रष्टाचार, अत्याचार, शोषण और गैर-कानूनी काम करने वाले लोक सेवकों को भारतीय दण्ड विधानों के तहत कठोर सजा नहीं मिलने के कारण आम व्यक्ति की प्रगति में रुकावट एवं देश की एकता, शान्ति, सम्प्रभुता और धर्म-निरपेक्षता को लगातार खतरा पैदा हो रहा है! क्या हम हमारे इन नौकरों (लोक सेवक से लोक स्वामी बन बैठे अफसरों) को यों हीं सहते रहेंगे?

    जो भी व्यक्ति इस संगठन से जुडना चाहे उसका स्वागत है और निःशुल्क सदस्यता फार्म प्राप्त करने के लिये निम्न पते पर लिखें या फोन पर बात करें :
    डॉ. पुरुषोत्तम मीणा, राष्ट्रीय अध्यक्ष
    भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास)
    राष्ट्रीय अध्यक्ष का कार्यालय
    7, तँवर कॉलोनी, खातीपुरा रोड, जयपुर-302006 (राजस्थान)
    फोन : 0141-2222225 (सायं : 7 से 8) मो. 098285-02666
    E-mail : dr.purushottammeena@yahoo.in

    ReplyDelete