माकपा (माले) अखिल भारतीय किसान महासभा के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने जिनमें काफी संख्या में महिलाएं भी शामिल थी। मंगलवार को समाहरणालय के मुख्य द्वार पर किया आक्रोश पूर्व प्रदर्शन। उन्होंने बताया कि 25 मई को वे नक्सलबाड़ी दिवस भूमि मुक्ति दिवस के रूप में मनाते हैं तथा अपनी मांगों की पूर्ति हेतु जिला प्रशासन के समक्ष प्रदर्शन करते हैं। इस अवसर पर जिन वक्ताओं ने अपने विचारों को आक्रोशपूर्ण वाणी प्रदान की उनमें मुख्य हैं किसान महासभा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य कामरेड पवित्र सिंह, राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य कामरेड शिवसागर शर्मा, माकपा के राज्य कार्यकारिणी सदस्य कामरेउ पंकज कुमार सिंह, जिला समिति सदस्य कामरेड इस्लामुद्दीन। उन्होंने अपने आक्रोशपूर्ण वक्तव्यों के द्वारा जिला प्रशासन का ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा कि किशनगंज जिला में उत्तरोत्तर रूप से भूमाफियों का वर्चस्व बढ़ता जा रहा है, वे सरकारी गैर सरकारी, गरीबों, दलितों एवं पिछड़ों की जमीन पर जबरन कब्जा करते जा रहे हैं। किशनगंज का ढ़ेकसरा मौजा, पोठिया, दिघलबैंक, कोचाधामन, ठाकुरगंज, बहादुरगंज, टेढ़ागाछ सहित पूरे जिला में भूमाफियों का वर्चस्व बढ़ता जा रहा है। कमजोर वर्ग के लोग बेदखल हो रहे हैं अपनी ही जमीन से। उन्होंने बताया कि माकपा 25 मई 2010 को नक्सलबाड़ी की 43 वीं दिवस नक्सलबाड़ी दिवस भू मुक्ति दिवस के रूप में मनाते हैं।
Wednesday, May 26, 2010
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