Friday, August 14, 2009

स्टेट बैंक की नौकरी नही बनी शंकर के पथ में बाधक

स्टेटबैंक कर्मी शंकर दत्ता ने शतरंज के खेल को मात्र दस वर्षो में एक नया मुकाम दिया। राष्ट्रीय स्तर के शतरंज प्रतियोगिता में उनसे प्रेरित एक दर्जन से अधिक खिलाड़ी भाग ले चुके हैं, 33 वां स्थान प्राप्त कर चुके हैं, विश्वविद्यालय चैम्पियन बन जिले का नाम रोशन किया है। बैंक का कार्य पूरी ईमानदारी और अनुशासन के दायरे में करते हुए उन्होंने 1999 में डिस्ट्रिक चेस एसोसिएशन का गठन किया और शतरंज खेल का विकास के लिए नगर के वरिष्ठ नागरिकों को उससे जोड़ा। जिलाधिकारी को पदेन अध्यक्ष और स्वयं को महासचिव पद की जिम्मेवारी सौंपी ।

सफर चलता रहा और 2007-08 में उनकी लगन को देखते हुए पूर्व जिलाधिकारी एम। श्रवण ने चेस एसोसिएशन के नाम से स्टेडियम का निर्माण करने का लिए प्रस्ताव भेजा, जो स्वीकृत हो गया। स्टेडियम के निर्माण के लिए 42 लाख रुपए जिला प्रशासन को राज्य सरकार ने आवंटित कर दिया गया है। इतना ही नही वित्तीय वर्ष 1999-2000 में जिला शतरंज संघ का बजट 10 हजार 790 रुपए थे, वहीं 2008-09 में संघ ने शतरंज के खेल पर 3,36 लाख रुपए खर्च किया, वह भी जन सहयोग से जिसमें डीएम फेराक अहमद द्वारा दिया गया दस हजार रुपए का निजी चंदा भी शामिल है।

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