Monday, August 17, 2009

पाट का मूल्य किशनगंज की जीवन रेखा, भाव लुढ़का

एक सप्ताह के अंदर पाट कीमतों में प्रति क्विंटल सात सौ रुपये की कमी से किसानों में मायूसी छा गई है। गौरतलब है कि पाट को बेचकर किसान दैनिक उपभोग की सामग्री व बेटा-बेटियों की शादी-निकाह तथा शिक्षा दिलाने का सपना पूरा करते हैं। पहाड़कट्टा निप्र के अनुसार छतरगाछ हाट में बीते 08 अगस्त को जो पाट प्रति क्विंटल 25 सौ रुपये व्यापारियों द्वारा किसानों से खरीदा जा रहा था, वहीं पाट छतरगाछ, गौरीहाट तथा दामलबाड़ी हाटों में 12 तथा 13 अगस्त को 18 सौ रुपये प्रति क्विंटल खरीदा गया।

पाट विक्रेता किसान मो। रफीक, नैयमुल, अब्दुल मजी, नुरुल हक सहित दर्जनों किसानों ने बताया कि एक तरफ महंगाई आसमान छू रही है,किसानों के थाली में दाल तथा कुल्फी में चाय पहुंच से दूर है। वहीं किसानों से जब उनका तैयार फसल खरीदी जाती है तो उन्हे औने-पौने दाम मिलता है। इस संबंध में जेसीआई के मैनेजर हरिप्रकाश ने बताया कि बाजार मूल्य में जरूर कमी आई है। जहां तक सरकारी दर का सवाल है वह काफी कम दर फिक्स हुआ है। जो प्रतिक्विंटल 16 सौ रुपये है। ठाकुरगंज जाप्र के अनुसार सरकारी क्रय एजेंसी जेसीआई के द्वारा भी पाट खरीद चालू नहीं होने से किसान निजी हाथों में पाट बेंचने को विवश हैं।

इस पूरे मामले में उपप्रमुख सोगेरा नाहीद ने जिला प्रशासन को तुरंत दखल देने की मांग करते हुए कहा कि सोमवार को जो पटुआ 2600 से 2700 रुपये बिका वहीं पटुआ चार दिनों के अंदर नौ सौ रुपये कम पर बिका है। ठाकुरगंज हटिया में किसानों की पाट खरीदने वाले महाजनों ने बताया कि कलकत्ता जहां पाट का मुख्य बाजार है, वहीं पर लगातार दाम में कमी के कारण यह स्थिति पैदा हुई है।

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