स्थानीय धर्मगंज में राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के तत्वावधान में निर्माणाधीन नई तकनीक का फ्लाई ओवर एप्रोच पथ गत वर्ष बरसात क समय में बार-बार गिरने से निर्माण कार्य को रोक दिया गया था। लगभग एक वर्ष बाद तकनीक में मामूली बदलाव के साथ वर्ष 2009 में उस पर फिर कार्य जारी है जिसका निरीक्षण शनिवार को एनएचआई के एक अभियंता दल ने किया है। सूत्रों ने बताया कि अभियंता दल के प्रमुख श्री वैदया ने अपने सामने संपर्क पथ के निर्माण डाली जा रही सामग्री की जांच की लेकिन उसके संदर्भ में मौके पर कोई खुलासा नही किया। वहीं स्थानीय लोग इस समय और एक वर्ष पहले बनाए गए संपर्क पथ के गुणवत्ता में कोई विशेष अंतर कर परा रहे हैं, केवल बेड मिसाली को छोड़कर।
गौरतलब है कि एनएचआई के मापदंड के मुताबिक नई तकनीक में पहाड़ी बालू को संपर्क पथ डालना है जिसका फ्राई वैल्यू 30-32 एमएम का होना चाहिए, जबकि निर्माण एजेंसी द्वारा मौके पर 15-16 एमएम का प्रयोग किया जा रहा है जिसके कारण नई और पुरानी तकनीक में कोई अंतर नही दिखाई पड़ रहा है। गौरतलब है कि फ्लाई ओवर संपर्क पथ में लोह-पैनल व फेसिया पैनल का हूक जंग निरोधक नही लगाया जा रहा है। प्राक्कलन में इसके अलावा पहाड़ी बालू मोरंग तथा वजरी पत्थर 05 मीटर ऊंचाई तक भरना है, लेकिन निर्माण एजेंसी एक परत पुरानी मिट्टी के बाद एक परत बालू डालकर संपर्क का निर्माण कर रही है जिससे दीवार ढहने की आशंका बनी रहेगी । ं निर्माण एजेंसी के प्रबंधक डी. एन. हंसारिया से दूरभाष पर बताया कि अभियंता वैदया मिट्टी जांच करने आये हुए हैं और पैनल का हुक जंग निरोधक लगेगा ।
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