Wednesday, August 19, 2009

एक हजार शिक्षक मौलिक अधिकारों से वंचित

जिला बनने के बाद स्नातक प्रशिक्षित वेतनमान, प्रवरकोटि वेतनमान सहित प्रधानाध्यापक के पदोन्नयन की बाट जोहते-जोहते एक हजार शिक्षक सेवानिवृत हो गये । यह जानकारी 18 अगस्त को एक बयान जारी करके गोपगुट के जिला प्रवक्ता प्रहलाद विश्वास ने दिया। प्राप्त जानकारी के मुताबिक बिहार सेवा संहिता के नियम 74 के अनुसार वित्तीय मामले में भुतलक्षी प्रभाव से स्वीकृति देय नहीं है । साथ ही नियम 58 के आलोक में पद ग्रहण की तिथि से संबंधित पद का वेतन एवं भत्ते पद-धारक को देय होता है।
नियम के बंधेय के कारण ही सेवानिवृत शिक्षकों को बकाया वेतन एवं भत्ते नही मिल पाएगा, हाँ बुढ़ापे का सहारा पेंशन में कुछ बढोत्तरी अवश्य हो जाएगी। इसी से उन्हे संतोष करना पड़ेगा । ये है किशनगंज जिले के प्रारंभिक विद्यालय में कार्यरत शिक्षक का हाल । स्नातक प्रशिक्षित वेतनमान सहित प्रधानाध्यापक के पदों पर रिक्ति के आलोक में प्रोन्नति देने हेतु अंजनी कुमार सिंह प्रधान सचिव मानव संसाधन विकास विभाग पटना के पत्रांक 1097 दिनांक 09 जूलाई डीएसई रविन्द्र शर्मा को प्राप्त हुआ है ।
जिस पर त्वरित कार्रवाई करते हुए ज्ञापांक 791 दिनांक 09 अगस्त के आदेशालोक में प्रारंभिक विद्यालयों के नियंत्री पदाधिकारियों के माध्यम से योग्य शिक्षकों से प्रारूप में भरकर आवेदन जमा करने का निर्देश दिया है । प्रारूप डीएसई कार्यालय में 05 सितम्बर तक जमा किये जा सकेंगे । इस बाबत जि।प्रा।शि.संघ के जिला प्रवक्ता प्रहलाद विश्वास ने बताया कि जिले के तमाम बीईईओ ,डीएसई कार्यालय द्वारा उपलब्ध करा दिया गया है ताकि सरकार द्वारा तय तीन माह की समय सीमा में वषरें से लम्बित प्रोन्नति के मामले को निष्पादित किया जा सके ।
इसके लिए जिला पदाधिकारी व डीएसई साधुवाद के पात्र है । लेकिन शिक्षक हित के कार्यों में नियंत्री पदाधिकारियों द्वारा कुंडली मारकर बैठना संदेह पैदा करता है । उन्होंने कहा कि प्रा.शि.संघ जिला मुख्यालय से लेकर राज्य मुख्यालय तक लगातार घारावाहिक घरना प्रदर्शन करता रहा है , इसी बीच माननीय उच्च न्यायालय पटना का भी न्यायादेश शिक्षक हित में पारित हुआ है । नियंत्री पदाधिकारी शिक्षक हित में सकारात्मक कार्य करे अथवा आन्दोलन झेलने को तैयार रहे ।

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