Monday, August 10, 2009

विस्थापित परिवारों का फाइल अंचल कार्यालयों में: चक्रवर्ती

जिले के विभिन्न प्रखडों में नदी के कटान से विस्थापित परिवारों को एक वर्ष बाद भी पुनर्वास नहीं मिल सका। स्थानीय प्रखंड के महीनगांव पंचायत पोरलाबाड़ी, आदिवासी टोला, दिघलबैंक प्रखंड के अठगछिया आदि पंचायतों में महानंदा व कनकई के कटान से विस्थापित हुए दर्जनों परिवारों को अब तक जिला प्रशासन पुनर्वास मुहैया कराने में असफल साबित हुअ॥ इस आशय की जानकारी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के जिला सचिव सुनील चक्रवर्ती ने दी।

उन्होंने बताया कि जिले के विभिन्न प्रखड़ों में ईट भट्ठा का बाढ़ सी आ गई है। यहां के गरीब किसानों के उपजाऊ जमीन को कोड़ी की भाव में लीज या फिर खरीदकर एक बड़ा भूभाग में पूंजीपतियों ने ईट भट्ठा लगाना शुरू कर दिया है। इसके आस-पास के उपजाऊ भट्ठा के राख व ईट व कोयला के धूल से बंजर होता जा रहा है। लेकिन प्रशासन कुंभकर्णी निंद्रा में सोयी है। इससे इतर जिले में फर्जी बंदोबस्ती बनाकर जमीन हस्तांतरित करने का भी सिलसिला चल रहा है।

इसका एक बड़ा गिरोह सभी प्रखंड में सक्रिय है। उन्होंने कहा कि जहां सरकार एक ओर महादलित परिवार को मुख्यधारा से जोड़ने की बात करती है वहीं दूसरी ओर आदिवासी की जमीन दिघलबैंक के सतकौआ पंचायत, किशनगंज के अंधुआकोल में फर्जी तरीके से दबंगों ने जमीन हस्तांतरित कराया है। उन्होंने किशनगंज जिला को सूखाग्रस्त घोषित करने की मांग जिला प्रशासन से की है।

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