Friday, March 27, 2009

परीक्षा देने आए छात्रों को सताती है रोटी की चिंता

प्रदेश में किशनगंज जिला छात्र-छात्राओं के नामांकन में अव्वल है,लेकिन वे पढ़ नहीं पाते। 'गरीबी' उन्हे काम करने के लिए मजबूर करती है। ऐसे बच्चे स्कूल में पढ़ने के साथ पापड़ आदि बेंचते है। शिक्षक और जनप्रतिनिधि इसका मुख्य कारण सिकुड़ती जमीन और बढ़ता परिवार मुख्य कारण मानते है। स्थानीय प्रखंड क्षेत्र के सिंघिया कुलामनी मध्य विद्यालय में छब्बीस मार्च को सवा दस बजे परीक्षा की तैयारी चल रही थी और परीक्षा देने आए बच्चे बेंच रहे थे पापड़।

प्रधान शिक्षक द्वारा इस सवाल पर बताया गया कि अभिभावक दुकान को चलाते है। वे इधर -उधर कहीं गए होंगे। सिंघिया कुलामनी के मुखिया मो.रज्जाक ने जानकारी दी कि सिंघिया मध्य विद्यालय के सभी शिक्षक अनुशासित है। समय से स्कूल आते हैं और मेहनत से पढ़ाते है लेकिन गरीबी की वृद्धि के ग्राफ को वे नहीं रोक सकते ,जो सर्व शिक्षा अभियान के मार्ग में सबसे बढ़ी बाधा है। उन्होंने कहा कि गरीब परिवार के सदस्य जनसंख्या नियंत्रण को लेकर जागरूक नही

सवाल पर उन्होंने कहा कि पांच वर्ष के अन्दर ,मुख्यतया नरेगा योजना लागू होने के बाद प्रत्येक परिवार की सभी स्रोतों से आय लगभग 36 हजार रुपए वार्षिक से अधिक है परन्तु प्रति व्यक्ति आय चार हजार से भी कम है।उन्होंने कहा कि जब तक भूख का मसला हल नहीं होगा,तबतक सर्व शिक्षा अभियान को भी मुकाम नहीं मिलेगा और भूख की समस्या तभी हल होगी,जब जनसंख्या वृद्धि की दर स्थिर होगी।

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