Monday, March 23, 2009

अर्श से फर्श पर पहुंचाया, नाबालिग नही रहा लोकतंत्र

किशनगंज संसदीय क्षेत्र में मतदाता जिसे हाथों-हाथ लेकर विजयी बनाए थे, उनके व्यवहार से आहत होकर अगले चुनाव में ही उन्हे जमीनी सच्चाई दिखाई और जमानत तक जब्त करा दी। इसलिए स्थानीय लोकसभाई-मतदाताओं को प्रत्याशी गण कम नहीं आंके पूरी तैयारी के साथ मैदान में उतरे जिससे जनता उन पर विश्वास कर सके,सांसद चुने और आगे किसी चुनाव में उन्हें सांसद रह चुके लखनलाल कपूर और हलीमुद्दीन अहमद की तरह शर्मनाक हार का सामना नहीं करना पड़े।

जानकारी के मुताबिक सन 1977 में विजयी हलीमुद्दीन अहमद को एक लाख 68 हजारा 175 मत मिला था जो वैध मतों का 58.58 फीसदी था। इसके बाद 1980 में हुए अगले चुनाव में ही हलीमुद्दीन अहमद को 71 हजार 613 मत मिला जो वैध मतों का 22.75 फीसदी था। इससे पहले 1957 एवं 1962 में सांसद मो. ताहीर को 1967 में हार का मुख देखना पड़ा। सन 1967 में विजय-पताका लहराने वाले लखनलाल कपूर की 1971 में जमानत ही जब्त हो गई । इस चुनाव में श्री कपूर को केवल 9.63 फीसदी मतदाता ही मतदान किया।

No comments:

Post a Comment