Tuesday, March 31, 2009

कहीं पर निगाहे कहीं पर निशाना

संसदीय क्षेत्र के महादंगल में किशनगंज चित्त भी मेरी और पट भी मेरी का दावा करने वाले राजद कार्यकर्ता अभी से ही दिवास्वपन् देखने में व्यस्त है। राजनीतिक प्रेक्षकों की मानें तो इस संसदीय चुनाव में न राजग गठबंधन को मिला कोई नया कद्दावर चेहरा न यूपीए गठबंधन को। दोनों गठबंधन अटूट रहा भी नहीं। यूपीए गठबंधन में अभी भी रहने का दावा करने वाले राजद प्रत्याशी राजद के वहीं पुराने कद्दावर नेता है जिन्हे एक बार पूर्णिया संसदीय सीट से तथा तीन बार किशनगंज संसदीय सीट से जीत दर्ज करने का सौभाग्य प्राप्त है।

वे चौथी बार किशनगंज संसदीय सीट से महादंगल में कूदने का मन बना चुके है तथा ग्रामीण क्षेत्रों के धूमधाम का मतदाताओं से सम्पक करने में व्यस्त हो गए है। यूपीए गठबंधन में सेंघ लगाने के लिए कांग्रेस ने किशनगंज से अपना प्रत्याशी मैदान में उतार दिया है वहीं राजग गठबंधन के प्रमुख घटक दल भाजपा की परम्परागत सीट पर सेंघ लगाकर जदयू के आलाकमान ने जिस प्रत्याशी को मैदान में उतारा है उसका खामियाजा जदयू को भुगतना होगा, इसे नकारा नहीं जा सकता।

किशनगंज जिला भाजपा के निष्ठावान कार्यकर्ता कहीं पर निगाहे कहीं पर निशाना वाली उक्ति को चरितार्थ करने में व्यस्त दिखेंगे। इसे भी नकारा नहीं जा सकता। वरुण गांधी प्रकरण में वरुण के प्रति जदयू के निरंतर तीखे होते तेवर का भी बुरा प्रभाव किशनगंज संसदीय सीट के जदयू प्रत्याशी के चुनावी गठित पर पड़ेगा। इसे भी नकारा नहीं जा सकता।

No comments:

Post a Comment