कच्चा कुआ एवं नदियों के जल से प्यास बुझाते हैं कुकुरबाघी पंचायत के वनवासी वोटर। वादा कर भूल जाते है जनप्रतिनिधि। यहां शुद्ध पेयजल हेतु आज तक कोई सार्थक प्रयास नहीं किया गया है। किशनगंज जिला के कुकुरबाघी पंचायत के साहेबगंज, ग्वालडांगी, वासनडूबी, महतो टोला व मैनागुड़ी के वनवासी समुदाय के लोग आजादी के छह दशक बाद भी कच्चा कुंआ एवं नदियों के जल से अपनी प्यास बुझाते है।
स्थानीय ग्रामीण वनवासियों ने बताया कि चुनाव के समय सभी राजनैतिक दल के नेता हम लोगों से कुंआ, नलकुप गड़वाने का वादा कर के वोट ले कर चले जाते है। कितने एमपी, एमएलए, मुखिया व सरपंच को हम वनवासी वोट दिये किंतु आज तक हमारे टोला व गांव में कुंआ नलकूप नहीं गाड़ा गया। मजबूरन आज भी हम लोग कच्चा कुंआ नदी व तालाब से पानी पीकर अपनी प्यास बुझाते है। सरकारी कर्मियों से पूछने पर नाम न छापने की शर्त पर बताया कि बंगाल सीमा पर स्थित कुकुरबाघी पंचायत जो वनवासी बाहुल क्षेत्र है,यहां टयूबेल गाड़पाना संभव नहीं है, कारण इस पंचायत की जमीन पथरीली है।
जबकि सरकार की ओर से जनजाति क्षेत्र में टयूबेल गाड़ने हेतु विशेष अनुदान मिलती है। पथरीली जमीन में टयूबेल गाड़ने में अधिक खर्च के कारण जन प्रतिनिधियों के इशारे पर सरकारी कर्मी पथरीली इलाका छोड़ मैदानी इलाके में टयूबेल गाड़ या बिना गाड़े लागत खर्च का बंदरवाट कर लेते है जिससे इस पंचायत के जनजातियों को शुद्ध पेयजल अब तक नसीब नहीं हो पाया है।
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