Thursday, April 9, 2009

डेढ़ हजार स्वयं सहायता समूह का राशि फंसी फैक्ट्री में

स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना के अन्तर्गत विशेष परियोजना के तहत डेढ़ हजार स्वयं सहायता समूह को प्रतिमाह कम से कम दो हजार रुपए आय के लक्ष्य को लेकर एक टी प्रोसेसिंग एण्ड पैकेजिंग यूनिट ,कालीदास किस्मत,पोठिया में केन्द्र और राज्य सरकार से मिले कुल 958।168 में से 935।77 लाख रुपए का निवेश किया गया है। यह परियोजना लगभग तीन वर्ष पहले से पूर्ण है,लेकिन जवाबदेह/ फैक्ट्री को संचालन करने में सक्षम समूह का गठन नहीं होने के कारण फैक्ट्री के मशीनों में जंग लग रही है।

सनद रहे है कि उदारीकरण के उस दौर में जब औने-पौने मूल्य पर सरकारी/ सार्वजनिक क्षेत्र के मालिकाना हक से सरकारे अपना हाथ खींच रही थीं,तब किशनगंज के पोठिया प्रखंड में हथेली पर सरसों जमाने के तुल्य अति महत्वाकांक्षी विशेष परियोजना के तहत चाय उत्पादन के लिए 1993 में नींव रखी जा रही थी,वह भी उस अनुदान के पैसे से,जो गरीबों की बेरोजगारी दूर करने के लिए थी।

उस समय तैयार प्रोजेक्ट में लालीपाप दिखाया गया था प्लान्ट को चालू हो जाने के बाद प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 15 हजार गरीब परिवारों को कम से कम से दो हजार रुपए प्रतिमाह की आय होगी। इस बाबत टी -प्लांट से जुड़ो विशेषज्ञों ने बताया कि आय की कल्पना सही है,लेकिन प्लांट को चलाने के लिए गरीबों के बीच से विशेषज्ञ कैसे मिलेंगे,शायद इस विचार नहीं किया गया। प्रशासनिक सूत्रों ने भी माना कि आज तक गरीबों के बीच से विशेषज्ञ स्वयं सहायता समूह बनाने की पहल नही की गई।

केन्द्रीय राज्यमंत्री सह सांसद ने कहा कि पांच वर्ष तक जिला प्रशासन ने उनसे इस सन्दर्भ कोई राय नही ली और न, ही गरीबों को प्रशिक्षण देकर प्लांट चलाने का प्रशिक्षण दिया। उन्होंने बताया कि यह योजना प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के समय स्वीकृति हुई थी और प्रदेश में राजद की सरकार थी।

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