Tuesday, April 7, 2009

छह दशक बाद भी नाव की सवारी बनी नियति

पड़लाबाड़ी पंचायत वासियों को आजादी के 61 वर्ष बाद भी नाव की सवारी करना मजबूरी हो गयी है। जनप्रतिनिधि पुल बनाने का वादा प्रत्येक चुनावी महापर्व में करते है और फिर पांच वर्षो तक इसकी सुधि लेने वाला कोई नहीं होता है। नतीजे के तौर पर 365 दिन आने जाने के लिए नाव ही सहारा होता है। किशनगंज संसदीय क्षेत्र के पोठिया प्रखंड अंतर्गत पड़लाबाड़ी पंचायत प्रखंड मुख्यालय से 20 किमी की दूरी पर स्थित है।

दोनों ही मुख्यालयों तक जाने आने के लिए पंचायत वासियों को डोंक तथा रमजान नहर पार करना पड़ता है। बरसात के मौसम में इन्हे जान हथैली पर रखकर घर से निकलना पड़ता है। इतना ही नहीं पंचायत क्षेत्र के एक भी सड़कों की हालत ठीक नहीं है। स्थानीय ग्राम वासियों के मुताबिक चुनाव के समय सभी राजनैतिक दल के नेता हमलोगों से डोक नदी पर पुल बनाये जाने के वादा करके वोट लेकर चले जाते है लेकिन पांच साल के दौरान इनका दर्शन तक दुर्लभ हो जाता है। हरिजन टोला, पड़लाबाड़ी, मोहवार, कालासिघिंया, नयाबस्ती के किसानों ने बताया कि पुल व सड़कों के कारण हमें फसलों को घर पर ही औने पौने दामों में बेचकर सलटा लेना पड़ता है।

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