Wednesday, April 1, 2009

छुटभैये नेताओं की बढ़ी पूछ,समर्थकों के जुगाड़ का जिम्मा

लोकसभा चुनाव को लेकर इन दिनों सभी दलों के छुटभैये नेताओं की पूछ अचानक बढ़ गई है। प्राय: सभी दलों में अन्तर्कलह के कारण अब ऐसे नेता अचानक मेन स्ट्रीम में आ गये है जो अब तक बैक बेन्चर थे। मेन स्ट्रीम में आने के साथ ही इनके तेवर भी बदले- बदले से है। जनाब के तेवर बदले भी क्यों नहीं? इन्हे समर्थकों के जुगाड़ का जिम्मा भी दिया जा रहा है कारण नेता जी को फुर्सत कहां?

दर्जी की दुकान पर कुर्ता की नापी दे रहे एक छुटभैये नेता ने कहा कि साहब अभी तो हमलोगों का सीजन आया है आज तक जो नेता जी भरी मुंह बात भी नहीं करते थे अब सुबह होते ही मोबाइल पर उनके दर्शन होने लगे है। दर्जी को अपनी व्यस्तता का हवाला देते हुए ये जनाब कहते है कि अरे जल्दी करिये नेताजी के आने का समय हो गया है समर्थकों की फौज नहीं जुटी तो दाल रोटी पर भी आफत हो जायेगी।

बात खत्म होती नहीं कि मोबाइल की घंटी बजने लगती है और नेताजी अपने लक्ष्य की ओर रवाना हो जाते है। इतना ही नहीं ये जनाब नेता जी को एक चतुर राजनीतिक खिलाड़ी की तरह सब्जबाग दिखाने में भी कोई कोताही नहीं बरतते। सर फलां इलाके में तो हवा आप ही के पक्ष में है सिर्फ कार्यकत्र्ताओं की नाराजगी दूर हो जाय बस।

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