भाजपा के दो भूतपूर्व बागी नेता बीजेपी के विधायक रह चुके सिकन्दर सिंह व बतौर भाजपा उम्मीदवार 31 प्रतिशत तक मत पाने वाले विश्वनाथ केजरीवाल 15 वीं लोकसभा चुनाव में दांव लगाने को तैयार हो गए है। ऐसे में राजद, राजग और कांग्रेस के उम्मीदवार की भृकुटी तन गई है।
चुनावी तस्वीर बायां कर रही है कि तेरहवीं लोकसभा चुनाव के समय जो समीकरण था,कमोवेश वैसी स्थिति 15वीं लोकसभा चुनाव की ''एक जैसे तेवर के उम्मीदवारों के आने से'' बन गई है। लेकिन तब जिस पार्टी को जीत मिली थी,उसका चुनाव चिन्ह इस चुनाव में नही दिखेगा।
इतिहास पर गौर फरमाएं- चौदहवीं लोकसभा चुनाव के समय सीधी लड़ाई दो दिग्गजों की बीच थी और भाजपा उम्मीदवार सैयद शाहनवाज को मात देते हुए राजद उम्मीदवार तस्लीम उद्दीन ने चार लाख तीस हजार से अधिक मत प्राप्त करके जीत दर्ज की थी। अभी के परिप्रेक्ष्य में ''15 वीं लोकसभा चुनाव में'' सैयद शाहनवाज और उनकी पार्टी जदयू के साथ हैं।
सनद रहे है कि श्री शाहनवाज को गत लोकसभा चुनाव में दो लाख 59 हजार से अधिक मत मिले थे। तब ''15 वीं लोकसभा के कांग्रेसी उम्मीदवार'' मौलाना अशरारुल हक चुनाव नहीं लड़े थे,जबकि तेरहवीं लोकसभा के चुनाव में मौलाना श्री हक चुनाव मैदान में थे और तब श्री तस्लीम को श्री शाहनवाज ने मात दिया था।
पन्द्रवीं लोकसभा के दिग्गज उम्मीदवार राजद के श्री तस्लीम ,काग्रेंस के श्री मौलाना व राजग के श्री अशरफ की निगाह चौदहवीं लोकसभा में शाहनवाज को मिले कुल वोट दो लाख 59 हजार पर गड़ी हैं। इसी वोट को बांटने तितर-बितर करने,बचाने व काटने के दांवपेंच में आरपार की लड़ाई लड़ने को तीनों तैयार हैं, वहीं इसमें हिस्सेदारी के लिए कमर कसकर खड़े है भाजपा के दो भूतपूर्व बागी नेता बतौर निर्दलीय उम्मीदवार।
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