Friday, October 16, 2009

रेल परियोजना : लोकसभा चुनाव में हारते ही 529 करोड़ की योजना ठप

एक सौ एक दशमलव दो किमी लंबी गलगलिया-अररिया नई रेल लाइन परियोजना पटरी पर से उतर गई है। कुल 529 करोड़ की इस परियोजना में दो वर्ष बीतने के बाद भी अब तक केवल 11 करोड़ रुपये का कार्य हुआ है। रेलवे अधिकारी परियोजना की शिथिलता के लिए भूमि अधिग्रहण में हो रही देरी को कारण मानते हैं। गौरतलब है कि लालू यादव द्वारा दो वर्ष पूर्व 17 सितम्बर 07 को बिना भूमि अधिग्रहण के ही इस रेल परियोजना का शिलान्यास किया गया था।

लोकसभा चुनाव के ठीक पहले प्रखंड के दूराघाटी के समीप मेची नदी पर पुल निर्माण का कार्य प्रारंभ किया गया । यह कार्य पिछले छह माह यानी चुनावी नतीजों के बाद से ही बंद पड़ा है। आम आदमी इस समय चर्चा है कि कहीं शिलान्यास का यह खेल चुनावी तो नहीं था। सनद रहे कि लगभग 529 करोड़ की लागत से पूरी होने वाली इस परियोजना को पूरा होने से बिहार के पूर्वोत्तर भाग में स्थित अररिया एवं किशनगंज जैसे पिछड़े जिले में रेल यातायात की सुविधा उपलब्ध होगी।

साथ ही वर्तमान में मौजूद मुरादाबाद, लखनऊ, मुगलसराय, पटना, बरौली, कटिहार, न्यूजलपाईगुड़ी मार्ग की तुलना में मुरादाबाद, लखनऊ, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, फारबिसगंज, अररिया, ठाकुरगंज, सिलीगुड़ी नये मार्ग द्वारा पंजाब एवं न्यूजलपाईगुड़ी के बीच की दूरी 50 से 60 किमी तक कम हो जाएगी। यह नई रेल लाइन बिहार के सीमावर्ती नेपाल के साथ पूर्वोत्तर भारत से दिल्ली के लिए वैकल्पिक मार्ग उपलब्ध कराएगी जो कभी विषम परिस्थितियों में राष्ट्र की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण साबित होगी । सामरिक दृष्टिकोण के साथ क्षेत्र के विकास के लिए भी मील का पत्थर साबित होगा। ज्ञात हो कि इस नई रेल लाईन में 44.50 किमी अररिया एवं 56.70 किमी भूभाग किशनगंज जिले में पड़ता है।

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