Monday, October 26, 2009

एक किलो आलू में दो दिन गुजारा करता है सलफुद्दीन का परिवार

जिले का कोचाधामन प्रखंड क्षेत्र का सोन्था पंचायत, जहां पर दो इंटर मीडिएट कालेज है, प्रखंड मुख्यालय, संपन्न हाट है, बैंक और सड़के हैं, वहां पर एक किलो आलू में चार सदस्य दो दिन काट रहे हैं, वह भी मुखिया की कृपा से। यह हाल केवल भाग पुनास टोला के 70 वर्षीय सलफुद्दीन, उनकी पत्नी और दो बेटी का ही नही है, अपितु ऐसे परिवारों की संख्या बीस प्रतिशत से अधिक है।
दर्जी टोला निवासी यासीन सुगर के चलते बीमार रहते हैं। उनकी पत्ती गोबर से ईधन बनाती हैं, उसे बेचती हैं,जो राशि मिलती है,उसी से उनके परिवार का गुजरा होता है। यासीन ने बताया कि अन्त्योदय का अनाज वर्ष में तीन-चार बार आता है, लेकिन उसे खरीदने तक के लिए मौके पर राशि नही रहती है। वहीं सलफुद्दीन ने बताया कि मुखिया ने अन्ना पूर्णा और गरीबी रेखा के नीच का कूपन दिए हैं जिससे वर्ष में तीन -चार बार राशन मिल जाता है।
एक किलो आलू से दो दिनों तक पत्नी ,दोनो बेटी सहित मेरा गुजारा हो जाता है। इससे पहले ग्राम कचहरी सचिव सोन्था तौहीद ने बताया कि बीस प्रतिशत परिवार एक किलो आलू में दो से तीन दिनों तक जीवन यापन करने के लिए मजबूर हैं। इसी प्रकार जब्बार आलम मांस की दुकान पर मजदूरी करते हैं। उनके दो बेटे भी इसी में हैं। कुल बच्चों की संख्या नौ है। उन्होंने बताया कि एक महीने में बीस दिन रोजगार मिल जाता है जिससे पूरे परिवार का पेट किसी तरह भर रहा है। पंचायत समिति मो। जमील अख्तर ने बताया कि वे जिले की प्रति व्यक्ति आय छह सौ रुपए से अधिक है।
इसकी आधी आय भी उनके ग्राम पंचायत के 40 प्रतिशत परिवारों की नही है। बीडीओ अभिर्यन्द्र मोहन सिंह ने बताया कि उनके सामने आधे पेट खाकर सोने की समस्या नही लाई गई है। उन्होंने कहा कि वे सुनिश्चित करेंगे कि जिले की औसत आय के बराबर कमाई सोन्था पंचायत के प्रत्येक परिवार की हो। उन्होंने स्वीकार किया जन वितरण प्रणाली के अनियमितता के चलते गरीब परिवारों के सामने भूख से मरने की नौबत मंहगाई के चलते खड़ी हो सकती है।

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