Monday, February 15, 2010

बाल एवं महिला व्यापार सामाजिक अभिशाप : एसडीपीओ

बाल एवं महिला व्यापार सामाजिक अभिशाप है, इससे समाज को मुक्ति मिले, यह विकसित समाज के लिए आवश्यक है और राष्ट्र के प्रत्येक नागरिक यह क‌र्त्तव्य होता है कि इसे उन्मूलित करने के लिए आगे आये और अपना सक्रिय सहयोग दे। इस विचारों को वाणी दी है अनुमंडल आरक्षी पदाधिकारी सुश्री कामिनी बाला ने। सुश्री बाला शुक्रवार को स्थानीय बस स्टैंड के सामने राष्ट्रीय उच्च पथ 31 पर नव पदस्थापित बाल एवं महिला व्यापार उन्मूलन सह परामर्श केन्द्र का उद्घाटन करने के बाद उपस्थित जनसमूह को सम्बोधित कर रही थी। उन्होंने कहा कि इस घिनौने व्यापार के प्रति पुलिस तो अपनी जिम्मेवारियां निभाती रही है लेकिन समाज के प्रत्येक व्यक्ति का यह धर्म होता है कि वह इसे उन्मूलित करने के लिए पुलिस को तथा इससे जुड़ी संस्थानों को मदद दे। उन्होंने राहत नामक संस्था की संचालिका फरजाना बेगम की प्रशंसा करते हुए कहा कि राहत एवं यूएनडीपी दिल्ली के सहयोग से स्थानीय यह परामर्श केन्द्र कारगर होगा और किशनगंज जो बाल एवं महिला व्यापार के लिए प्रारंभ से ही बदनाम रहा है उसकी छवि में सुधार आयेगा। प्रारंभ में राहत संस्था की संचालिका फरजाना बेगम ने इस परामर्श केन्द्र की स्थापना की महत्ता पर प्रकाश डाला तथा बताया कि उनकी संस्था वर्षो से बाल एवं महिला व्यापार के उन्मूलन की दिशा में सक्रिय रही है। इस अवसर पर समन्वयक मो. दानिश, परामर्शकर्ता नदीम विक्टर, फरहत सकीरा, सीमा, रीता, तरन्नुम आदि सभी मौजूद थे।

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