कोचाधामन प्रखंड के ग्राम पंचायत डेरामारी और पाटकोई में 32 एकड़ की एक झील है जिसमें गाद भर जाने से अगल-बगल के लोग उसके भू-भाग पर खेती करके कब्जा जमा रहे हैं। इस झील को संरक्षित और सुरक्षा नहीं प्रदान किया गया तो यह अपना अस्तित्व खो देगी। इस संबंध में बातचीत करने पर मुखिया प्रतिनिधि साहिद ने बताया कि नरेगा योजना के तहत इसका डीपाआर बनाने का प्रस्ताव ग्राम सभा ने पारित ने किया है। उन्होंने कहा कि ग्राम सभा की योजना है कि डेरामारी में स्थित16 एकड़ में फैली झील से गाद निकल जाए। उसके चारों तरफ बांध बनाकर और उस पर मुख्यमंत्री वृक्षारोपण योजना के तहत पेड़ लगाया जाए, जो डीपीआर नहीं बनने के कारण अधर में हैं। वहीं पीओ नरेगा कोचाधामन ने जानकारी दी कि वह झील मत्स्य विभाग के अधीन है। मत्स्य विभाग द्वारा प्रस्ताव मिलने पर नरेगा द्वारा उसका डीपीआर बनाया जाएगा। गौरतलब है कि नदी, झील और तालाब को उसका मूल स्वरुप बनाए रखने तथा जल संरक्षण योजना के बढ़ावा देने का आदेश माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिया गया है । इसके बावजूद डेरामारी और पाटकोई में 32 एकड़ में फैले झील को संरक्षित करने में कोताही बरती जा रही है।
Thursday, February 18, 2010
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