Friday, February 19, 2010

तस्करों का सेफ सेफ जोन बना किशनगंज, एजेंसी मूकदर्शक

अन्य सीमांचल क्षेत्रों में सर्वाधिक तस्करी चर्चित रहा है किशनगंज जिला। अपनी विशिष्ट भौगोलिक स्थिति के कारण यह एक ओर बंगलादेश तो दूसरी ओर नेपाल से जुड़ा है। इतना ही नहीं हिन्दुस्तान के सात पूर्वोत्तर राज्यों की जीवन रेखा राष्ट्रीय उच्च पथ 31 भी किशनगंज से ही होकर गुजरती है। हाल के दिनों में तस्करों की सक्रियता इस क्षेत्र में काफी बढ़ गई है। यह तस्करी विभिन्न रूपों में दिखाई दे रही है। पशु तस्करी, सुपाड़ी, लहसून, सखुआ लकड़ी, इलेक्ट्रानिक उत्पादों, रसायनिक खाद की तस्करी निर्बाध रूप से जारी है। यह घोर आश्चर्यजनक स्थिति है कि तस्करी रोकने हेतु ्रप्रतिनियुक्त विभिन्न एजेंसियां एवं संबद्ध विभाग तथा स्थानीय प्रशासन उपेक्षित रूप से कारगर साबित नहीं हो पा रहे हैं।

नेपाल सीमा से सटे ठाकुरगंज, गलगलिया, कुर्लीकोट, सुखानी, गर्डबनडांगा, दिघलबैंक, कोढ़ोबाड़ी, फतेहपुर थाना क्षेत्र से निर्बाध रूप से सुपाीड़ी, लहसून, सखुआ लकड़ी, इलेक्ट्रानिक समान, गांजा व नेपाली पशुओ की तस्करी धड़ल्ले से होता है। लेकिन सीमा पर तैनात सुरक्षा एजेंसी व पुलिस मूक दर्शक बनी बैठी है। सूत्रों की माने तो भारत से भारी मात्रा में रसायनिक खाद का खेप नेपाल भेजा जाता है। वहीं दूसरी ओर पशुओं से लदे कई ट्रक आराम से दिन-दहाड़े तमाम निरोधात्मक उपायों मुंह चिढ़ाते किशनगंज होकर अपने गंतव्य की ओर जाते हैं। सुपारी एवं अन्य विदेशी इलेक्ट्रानिक उत्पाद की खुलेआम उपलब्ध इस तथ्य को साबित करती है कि तस्करी बेरोक-टोक जारी है। यदा-कदा ट्रेन एवं बस-ट्रक से उपरोक्त सामानों की बरामदगी के महज जांच की औपचारिकता से ज्यादा के निर्वहन से ज्यादा नहीं लगते हैं। जबकि कठोर सत्य यह है कि किशनगंज क्षेत्र तस्करों का सेफ जोन बन गया है जो कि संबद्ध अधिकारियों में व्याप्त भ्रष्टाचार एवं तस्करों की उंची पहुंच की ओर संकेत कर रही है।
तस्करो का बढ़ता प्रभाव इस क्षेत्र की सुरक्षा के लिए गंभीर समस्या पैदा कर सकता है। स्थिति की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगायी जाती है कि किशनगंज कस्टम द्वारा दो महीनों में विदेशी सुपाड़ी व अन्य इलेक्ट्रानिक सामान की जब्ती। कस्टम अधीक्षक मनमोहन शर्मा ने उक्त बात की पुष्टि करते हुए कहा कि अकेले कस्टम की बूते से बाहर है किशनगंज में तस्करी रोकना। इसके स्थानीय पुलिस, एसएसबी, रेल पुलिस व कर्मचारियों के सहयोग के बैगर संभव नहीं है। उन्होंने माना कि किशनगंज में तस्कर सक्रिय है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा ट्रकों में भरकर मवेशी की हो रहा तस्करी रोकना हमारे कार्यक्षेत्र से बाहर की बात है।

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