Tuesday, February 9, 2010

गरीबी उन्मूलन की दर्जनों योजनाएं, जिले में बढ़ी गरीबों की संख्या

रोजगार गारंटी, इंदिरा आवास, स्वयं सहायता समूह, अनुसूचित जनजाति कल्याण, वृद्धा पेंशन, मातृत्व लाभ, किसान क्रेडिट कार्ड, पारिवारिक लाभ और अन्त्योदय के तहत सस्ते दामों पर अनाज आदि दर्जनों गरीबी गरीबी उन्मूलन व कल्याणकारी योजनाएं प्रखंड क्षेत्र में क्रियान्वित की जा रहीं हैं, वहीं गरीबों की संख्या इजाफा होता जा रहा है। इस सावल पर बीडीओ पोठिया रामकुमार पोद्दार का कहना है कि गरीब तबका इन तमाम योजनाओं का लाभ उठा रहा हैं और इनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो रहा है। जहां तक गरीबों की संख्या में वृद्धि होने की बात है, इसके लिए लोगों की मनोदशा में बदलाव लाने की आवश्यकता है। सुखी संपन्न लोग गरीबी रेखा से नीचे रहकर इन योजनाओं से लाभान्वित होना चाहते हैं। यही कारण है कि पांच वर्षो के दौरान गरीबी रेखा की सूची में गरीबों की संख्या पंचायतवार तीन से पांच गुणी बढ़ गयी ।

वहीं जनसंख्या वृद्धि भी इस सूची को और लंबी बनाने में अहम भूमिका निभा रही है। यदि धरातल पर देखा जाय तो इन योजनाओं द्वारा गरीबों को काफी लाभ पहुंचा है। क्षेत्र के लोगों के रहन सहन, खान पान, पहनावा, मनोरंजन के साधन आदि में गुणात्मक परिवर्तन आया है। इस प्रकार उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक छतरगाछ शाखा के प्रबंधक बी।के। सिन्हा के मुताबिक सरकार जिस गति से गरीबी उन्मूलन करना चाहती है उस रफ्तार से भले ही नहीं हो रहा है लेकिन पिछले दस वर्षो की तुलना में इस समय योजनाओं के क्रियान्वयन से क्षेत्र में काफी बदलाव आया है। अहम बात यह है कि लोग योजनाओं से लाभान्वित जरूर हो रहे हैं लेकिन उसका सदुपयोग नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने एक सवाल पर बताया कि शुद्ध बचत में कमी जरूर आई है जिसका मुख्य कारण बढ़ती महंगाई है। महंगाई के कारण आय व्यय में संतुलन बिगड़ गया है। जिस वजह से लोगों की शुद्ध बचत में कमी आई है।

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