Tuesday, February 16, 2010

न्याय मित्र व सचिवों का मानदेय एक वर्ष से अधर में, आक्रोश

सुशासन में जहां महात्मा गांधी के सपने को साकार करने को ले गांव में कम खर्चे में न्याय दिलाने का पहल कारगर साबित हुआ है। लेकिन ग्राम कचहरियों में न्याय कार्य से जुड़े न्याय मित्र व न्याय सचिवों को लगभग एक वर्ष बीत जाने के बाद भी मानदेय का भुगतान नहीं किए जाने से क्षोभ व्याप्त है। इस आशय की जानकारी जिला न्याय मित्र संघ के अध्यक्ष अजीत कुमार दास और महासचिव संजय कुमार मोदी ने सोमवार को एक प्रेस बयान जारी कर दी। साथ ही उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि होली से पहले मानदेय का भुगतान नहीं किए जाने पर होगा व्यापक आंदोलन। उन्होंने दु:ख व्यक्त करते हुए कहा कि आखिर ससमय मानदेय का भुगतान नहीं किए जाने के पीछे दोषी कौन है सरकार या जिला प्रशासन। उन्होंने बताया कि कई ऐसे प्रखंड है जहां से अतिरिक्त प्रभार की सूची जिला पंचायती राज पदाधिकारी को नहीं भेजा गया है। जबकि अतिरिक्त प्रभार लिए दो वर्ष से अधिक की अवधि बीत चुका है। इसके लिए न्याय मित्र प्रखंड कार्यालय का चक्कर लगाते-लगाते थक चुके है लेकिन प्रभार का लिस्ट अब तक जिला पंचायती राज कार्यालय में उपलब्ध नहीं कराया गया है। जिस कारण मानदेय ही नहीं बना ।

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