Saturday, February 7, 2009

प्राण बचाने का आरजू ,रोते-रोते मां हो जाती बेसुध

''भूखे रहकर अपने नुनू को पढ़ाएं है, मेरे बेटे को बचा लीजिए बाबूजी ''। यह बोलते -बोलते एक मां घटना के 18 दिन बाद भी बेसुध हो जाती है। यह हाल है सड़क दुर्घटना में घायल नव नियुक्त जीवन बीमा के विकास अधिकारी सुरेश हरिजन की मां चंद्रवती देवी की।
इसके अलावा पत्‍‌नी उमाशंकरी राय भी जब खुद को रोक नहीं पाती तो अपनी सासु मां से छुपकर घर के पिछवाड़े जा आंसू बहा लेती है व अपने बेटे को कलेजे से लगा खुद पर काबू पाती है। मौके पर किशनगंज जीवन बीमा कार्यालय के विकास अधिकारी ''क्रमश:'' विजय शंकर मिश्रा, एस। के. पासवान व एन. के टुडू ढांढस बधा रहा थे।
इसके पहले तीनों डीओ के पहुंचने पर परिजन सहित ग्रामीण किसी शुभ समाचार सुनने की चाह में एकत्र हो जाते है। इसी बीच मोबाइल पर खबर मिलती है कि सुरेश ने पुकारने पर आंख खोल दी है। सुनते ही घर वाले भगवान के सामने की प्रार्थना करने लगते है। साथ ही ग्रामीण भी भगवान से स्वास्थ्य लाभ की कामना करते है।
मालूम हो कि श्री एलआईसी डीओ श्री सुरेश के माता -पिता के पास एक धुर जमीन नहीं है। सरकार द्वारा आवंटित जमीन व इन्दिरा आवास में रहकर माता-पिता बेटे को पढ़ाकर एलआईसी का डीओ बनाया है, जो हरिजन विगत 19 जनवरी की अहले सुबह कोडमारी टप्पू के पास रौशन ट्रेवल्स की चपेट में आकर बुरी तरह जख्मी होने के बाद सिलीगुड़ी स्थित आनंद लोक अस्पताल में जिंदगी से लड़ रहा है और डीओ एसोसिएशन व अन्य स्टाफ चंदन एकत्र करके इलाज करवा रहे है ।

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