Monday, February 16, 2009

नीतीश को संघ ने प्रदान किया इतिहास पुरुष का दर्जा

बिहार के इतिहास में किसी ग्राम में पहली बार मंत्री परिषद की बैठक कर बिहार के मुख्यमंत्री ने अपने विकास यात्रा के क्रम में ग्रामीण जीवन को तो सम्मानित किया ही, इससे बड़ा सम्मान उन्होंने वित्त रहित इंटरमीडिएट कालेजों एवं स्कूलों में विगत ढाई दशकों से कार्यरत कर्मियों को दिया जिन्हे विगत सरकारों ने एक तरह से नजरअंदाज कर रखा था। ये बातें बिहार वित्त रहित शिक्षक एवं कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष डा। गणेश प्रसाद सिंह ने एक प्रेस वार्ता में कही।

उन्होंने कहा कि हाजीपुर, पटना, खगड़िया,बेगुसराय आदि जिलों में मुख्यमंत्री के इस ऐतिहासिक निर्णय पर वित्त रहित कर्मियों ने स्वागत रैलियां निकाली । मुख्यमंत्री के गुणात्मक शिक्षा नीति का स्वागत करते हुए वित्त रहित इंटरमीडिएट कालेजों एवं हाई स्कूलों को वित्तीय अनुदान देने संबंधी मंत्री परिषद में निर्णय लिए जाने पर सीएम नीतीश कुमार, शिक्षा मंत्री हरिनारायण सिंह एवं शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव अंजनी कुमार सिंह के प्रति आभार प्रकट किया।

उन्होंने यह स्पष्ट किया कि 26 मार्च 2008 को ही मुख्यमंत्री ने वित्त रहित नीति को समाप्त करने का निर्णय लिया था और उसी आलोक में डिग्री महाविद्यालयों के लिए मंत्री परिषद ने पहले ही अपनी सहमती दे दी थी और 10 फरवरी 09 को इंटरमीडिएट महाविद्यालयों एवं हाई स्कूलों को अनुदान देन
का निर्णय लेकर वित्त रिहत नीति को समूल समाप्त कर दिया। जिससे किशनगंज जिले में अवस्थित वित्त रहित शिक्षण संस्थानों के शिक्षक एवं कर्मचारियों में सचमुच उल्लास उमड़ है।

महासंघ के अध्यक्ष से उक्त संदेश प्राप्त होते ही रतन साह काली महिला महाविद्यालय के प्रो. नंद किशोर पोद्दार, प्रो. बी.के.नायक, प्रो. आदित्य कुमार साहा, नेशनल कालेज ठाकुरगंज के प्रो. शब्बीर अहमद, प्रो. मंजूर आलम, प्रो. शफी अहमद, बहादुरगंज कालेज बहादुरगंज के प्रो. प्रो. खुर्शीद अनवर, प्रो. तालिब और सुशीला हरि कालेज तुलसिया के प्राचार्य प्रो. विनोदानंद ठाकुर, प्रो.विवेकानंद ठाकुर ने मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री, प्रधान सचिव के प्रति इस ऐतिहासिक निर्णय के लिए आभार प्रकट किया।

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