Thursday, February 19, 2009

अधिवक्ताओं ने किया न्यायिक कार्यो का बहिष्कार

फेडरेशन आफ बार एसोशिएशन आफ नार्थ इंडिया के आह्वान पर बुधवार को व्यवहार न्यायालय में अधिवक्ताओं ने न्यायिक कार्यो का बहिष्कार किया और काला कानून वापस लो के नारे लगाये। भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता में सेक्शन 41 और 309 में सरकार द्वारा बदलाव किए जाने के विरोध में न्यायिक कार्यो का बहिष्कार किया गया है।
इस संबंध में अधिवक्ता ओम कुमार ने बताया कि भारत सरकार अपराधियों को खुली छूट देकर समाज विरोधी कार्य करने पर तुली है। नेता, पुलिस और अपराधियों के गठबंधन से अब पुलिसिया राज पनपेगा और इससे अवाम को काफी परेशानी होगी।
उन्होंने बताया कि इसके तहत चोरी, लूटपाट, छुराबाजी, जबरन वसूली, बलात्कार की कोशिश, छेड़खानी, चेन झपटना, पाकेटमारी, बेईमानी, धोखाधड़ी, रिश्वतखोरी, जबरन सम्पति पर कब्जा, साम्प्रदायिक दंगे भड़काना, अपराधिक मानव वध की कोशिश, दहेज वसूली, घरेलू हिंसा, महिला अत्याचार, यौन प्रताड़ना, अनुसूचित जाति प्रत्याचार, मारपीट, गवाह धमकाना, जान लेने की धमकी देना, शरीर अंग व्यापार, देह व्यापार, नकली मुद्रा व्यापार, आतंकियों को पनाह देना, नकली दवाई बेचना, पुलिस अधिकारी द्वारा कस्टडी रेप, लुप्त होते जीवों का वध व हत्या तस्करी, नकली सामान बेचना, नकली पासपोर्ट इस्तेमाल करना आदि मामलों में दोषी व्यक्तियों को थाने से ही छोड़ने का अधिकार पुलिस को दे दिया गया है जो समाज के खिलाफ है। इस प्रकार के कानून अवाम को न्याय दिलाने में सहायक सिद्ध नहीं हो सकता बल्कि इसकी आड़ में दोहन जरूर होगा।
इस मौके पर अधिवक्ता बलदेव प्रसाद, निर्मल लाल प्रसाद, खलीकुज्जामां चौधरी, अब्दुल समद, नुरूस सौहेल, सुरेन प्रसाद साहा,इम्तियाज अली तमन्ना, शिशिर कुमार दास, तलत नसीम,राधेश्याम भक्ता,मधुकर प्रसाद गुप्ता,प्रमोद कुमार, अजीत कुमार दास, संजय कुमार, विनम्र सुदर्शन, भालचन्द्र मिश्रा, मिथिलेश मिश्रा, विवेकानंद ठाकुर, सहरवर्दी, धीरज सिंह,जितेन्द्र ओझा, चंचल कुमार सिन्हा, निर्भय कुमार समेत दर्जनों अधिवक्ता मौजूद थे।

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