Tuesday, February 17, 2009

गरीबों की फैक्ट्री है अच्छी नस्ल की बकरयिां

अच्छी नस्ल की बकरियां गरीबों के लिए फैक्ट्री से कम नहीं है। एक बकरी से पूरे परिवार का खर्च चल सकता है। यह जानकारी द गोट ट्रस्ट, लखनऊ के मैनेजिंग ट्रस्टी राजीव कुमार ने दी। वे स्थानीय रचना भवन में दो दिन पहले राहत संस्था के तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय बकरी पालन प्रशिक्षण शिविर में मौजूद 28 ग्रामीण महिलाओं और पुरुषों को संबोधित कर रहे थे।
प्रशिक्षण का शुभारंभ कार्यपालक दंडाधिकारी कमरूजमा ने प्रशिक्षुओं को संबोधित करके किया और कहा कि इस प्रशिक्षण का आयोजन जिले में साधन सेवी तैयार करने के लिए राहत संस्था की तरफ से किया गया है। यहां से प्रशिक्षित होकर निकले प्रतिभागी गांवों में जाकर बकरी पालन से लाभ की जानकारी ग्रामीणों को देंगे। इस अवसर पर राहत संस्था की संचालिका श्रीमती फरजाना बेगम भी मौजूद थी।
उत्तर प्रदेश, राजस्थान,महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में बकरी पालन की विधि पर प्रकाश डालते हुए प्रशिक्षक श्री राजीव ने कहा कि बकरी गरीबों की फैक्ट्री है,यह कहावत आज भी गांवों में चरितार्थ हो रही है। डेढ़ किलोलीटर दूध के सात वर्षभर में एक अच्छी नस्ल की बकरी से दस हजार और डेढ़ वर्ष में 20 हजार रुपए तक आय संभव है। उन्होंने कहा कि एक तोता परी नस्ल की बकरी एक वर्ष में 50-60 किलोग्राम मांस और एक किलोग्राम दूध प्रतिदिन देती है। गौरतलब है कि प्रशिक्षुओं में पोठिया, कोचाधामन और किशनगंज के प्रतिभागी शामिल थे।

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