Tuesday, February 17, 2009

लोहे का चना चबाने पर होगा किशनगंज में विकास कार्य

देश और विदेश में मांग घटने से जहां उद्योग-धन्धे मंदी की मार झेल रहे है और कंपनियां कर्मचारियों की छटनी के लिए विवश हो रही है, वहीं किशनगंज में 60 करोड़ रुपए से बनने वाले पांच पुलों के लिए पांच बार निविदा निकालने पर भी ठेकेदारों द्वारा निविदा नहीं डाली जा रही है। इस हालात के चलते सबसे अधिक प्रभाव देश आजाद होने के 61 वर्ष बाद भी सीधे संपर्क मार्ग से जुड़ने की दो वर्ष से बाट जोह रहा टेढ़ागाछ प्रखंड पर पड़ रहा है। इस सवाल पर एक ठेकेदार ने प्रतिक्रिया व्यक्ति की कि लोहे का चना चबाना है किशनगंज में काम कराना ।

जिले का सबसे उपेक्षित प्रखंड टेढ़ागाछ का भाग्य अभी भी उसे चकमा दे रहा है। राजग सरकार से पहले और देश आजाद होने के बाद टेढ़ागाछ प्रखंड क्षेत्र में कुल चार किलोमीटर सड़क बनी है। इधर दो वर्षो में पचास किलोमीटर सड़क पर कार्य चल रहा है जिनमें से 20 किलोमीटर सड़क का निर्माण नाव से सड़क सामग्री को ले जाकर ठेकेदार को करानी पड़ रही है। इस परेशानी को दूर करने के लिए 24 करोड़ की लागत से रेतुआ और बूढ़ी कनकई नदी पर दो पुल स्वीकृत है। पांच बार निविदा निविदा निकल चुकी है लेकिन ठेकेदारों द्वारा निविदा नही डाली गई।
कार्यदायी एजेन्सी एनबीसीसी के प्रोजेक्ट मैनेजर के. एन.गुप्ता ने बताया कि दोनों में से एक पुल को तकनीकी फाल्ट के चलते एनबीसीसी ने हाथ में लेने से इंकार कर दिया है। वहीं लौचा घाट पर स्वीकृत पुल को बनाने के लिए पांच बार निविदा निकाली गई,लेकिन कोई भी ठेकेदार निविदा डालने नहीं आया। उन्होंने कहा कि इसी प्रकार तीन और पुलों की निविदा पांच बार निकाली गयी और निविदा नहीं पड़ी।

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