15-16 फरवरी तक किशनगंज के अनुमंडल पदाधिकारी और पश्चिम बंगाल के अनुमंडल पदाधिकारी के नेतृत्व में कुछ पदाधिकारियों की संयुक्त टीम जिले के पोठिया प्रखंड में उस जमीन की स्थलीय जांच करेगी जो जमीन 1952-53 में तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान से आए शरणार्थियों को सरकार ने आवास एवं खेती के लिए आवंटित की थी। यह जानकारी जिला पदाधिकारी फेराक अहमद ने दी। श्री अहमद 21 जनवरी को निकटवर्ती पश्चिम बंगाल के दालकोला में बिहार पश्चिम बंगाल के जिला स्तरीय पदाधिकारियों की बैठक में भाग लेकर लौटने के बाद 22 जनवरी को पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने बताया कि उस समय जो जमीन तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान से आये शरणार्थियों को आवंटित की गई थी वे सभी तो गुजर गये, लेकिन उनके आश्रितों में अधिकांश अभी भी आवंटित भूमि पर कब्जा नहीं पाए हैं, जो दावा कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि जो जमीन 1952-53 में उन शरणार्थियों के नाम आवंटित की गई थी, वे लोग 1956 में राज्य पुनर्गठन आयोग की अनुशंसा से प्रभावित हैं । उन्होंने बताया इस निर्णय से आबादी चली गई पश्चिम बंगाल क्षेत्र में लेकिन उनकी जमीन का बड़ा भाग बिहार में ही रह गया ।
सम्प्रति जमीन है बिहार में और आबादी है बंगाल में। श्री अहमद ने बताया कि संयुक्त टीम द्वारा जांच किये जाने के बाद जो स्थिति सामने उभर कर आयेगी उसके अनुरूप जिस जमीन पर उस समय के शरणार्थियों अथवा उनके उत्तराधिकारियों को प्राप्य होना चाहिए, उन पर उनका स्वामित्व होना चाहिए। वह उन्हें प्राप्त होगा। श्री अहमद ने बताया कि इस संबंध में निर्णय लेने में काफी विलंब हो गया है लेकिन संयुक्त टीम के प्रतिवेदन के बाद जो भी निर्णय होगा उस पर अमल होगा और कहावत चरितार्थ होगी जिसमें कहा गया है देर से आये तो दुरुस्त आये। उन्होंने बताया कि बैठक में उत्तर दिनाजपुर के डीएम आर ।चक्रवर्ती, एडीएम ए.के. चक्रवर्ती, इस्लामपुर के एसडीओ एस. मित्रा एवं किशनगंज के जिलाधिकारी, एसपी, एसडीओ एवं पोठिया के बीडीओ ने भाग लिया।
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