Monday, January 11, 2010

आदिवासियों ने निजी जमीन को भूदान बताकर गाड़ा है झंडा: मो.तनवीर

भूदान की जमीन कहकर दो-ढाई सौ लोगों को लेकर झंडा गाड़कर कब्जा कर लेना सरासर अत्याचार है। जिस जमीन को कब्जा किया गया है,वह जमीन कभी दान में दी ही नहीं गयी है। यह जानकारी मो. तनवीर आलम निवासी सिकटीहार ने दी और उन्होंने इसकी एक प्रतिलिपि किशनगंज एसडीओ को दिये जानकारी देते हुए रविवार को आकर सफाई दी कि पत्रांक संख्या 15/न्या दिनांक 07.01.10 के द्वारा अंचल पदाधिकारी बहादुरगंज एवं थाना प्रभारी बहादुरगंज को जांच कर कार्यवाही करने का आदेश एसडीओ ने दिया हैं। उन्होंने अपने भूमि के सारे दस्तावेज एवं 2010 तक का खजाना की रसीद भी सौंपने की जानकारी देते हुए बताया कि कब्जा किए गए खाता खेसरा की जमीन कभी भी भूधारी नाजीर हुसैन, हबीबुर्रहमान, खलीबुर्रहमान एवं अन्य ने दान किया ही नहीं हो जो कि बहादुरगंज अंचल अधिकारी द्वारा जांच कर पत्रांक संख्या 447 दिनांक 21.8.09 एवं अनुमंडल पदाधिकारी के जांच आदेश पर दुबारा अंचल अधिकारी बहादुरगंज ने पत्रांक संख्या 688 दिनांक 26.11.09 के द्वारा उपसमाहर्ता भूमि सुधार किशनगंज को भेजे गये पत्र में यह साफ किया है कि खाता एवं खेसरा एवं भूदाता का नाम खतियान एवं पंजी दो से भिन्न हैं एवं मेल नहीं खाता है। उन्होंने कहा कि हठधर्मी पर उतारू होकर कुछ लोगों के बहकावे में आकर हमारे खतियानी जमीनों पर झंडा गाड़के हमारे फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं, इससे कभी भी किसी भी तरह का लड़ाई मार हो सकती है क्योंकि भूदान कमेटी कार्यालय के कर्मचारियों ने बिना विधिवत खतियान की जांच किये और डीसीएलआर के आज्ञा के बिना पर्चाधारियों को पर्चा बांटे जा रहे हैं। जबकि उनको भी आपत्ति पत्र दिया गया था। जिसका उन्होंने अनदेखी करते हुए पर्चा बांटा है।

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